वक्फ संशोधन बिल के संसद से पास होने के बाद देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। शुक्रवार की जुमे की नमाज के बाद पश्चिम बंगाल, गुजरात, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और असम जैसे राज्यों में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। इन प्रदर्शनों में महिलाओं और बच्चों की भी भागीदारी रही। लोगों ने पोस्टर-बैनर लेकर वक्फ बिल को वापस लेने की मांग की और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
उत्तर प्रदेश में अलर्ट, समर्थन करने पर धमकी और मारपीट
उत्तर प्रदेश सरकार ने हालात को देखते हुए सभी 75 जिलों में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा है। लखनऊ में मस्जिदों और दरगाहों की ड्रोन से निगरानी की जा रही है, और फ्लैग मार्च जारी है। इस बीच, यूपी अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशफाक सैफी को वक्फ बिल का समर्थन करने पर जान से मारने की धमकी दी गई। इतना ही नहीं, उनके बहनोई को इस मुद्दे को लेकर पीटा गया, जिससे राज्य में तनाव और बढ़ गया है।

गुजरात, बंगाल और दक्षिण भारत में तीव्र विरोध
गुजरात के अहमदाबाद में सैकड़ों लोग विरोध में शामिल हुए। उनके हाथों में “वक्फ बिल वापस लो” और “रिजेक्ट यूसीसी” जैसे बैनर थे और उन्होंने काली पट्टियाँ बांधकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने करीब 50 लोगों को हिरासत में लिया। वहीं, कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में हजारों लोग इकट्ठा हुए और वक्फ बिल के खिलाफ नारेबाजी की। झारखंड की राजधानी रांची और बिहार के कई जिलों में भी विरोध देखने को मिला। तमिलनाडु में एक्टर विजय की पार्टी “तमिलगा वेत्री कझगम” ने भी बिल का कड़ा विरोध किया, जिससे यह मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर गरमाता दिख रहा है।

वक्फ संशोधन बिल पर विपक्ष का तीखा हमला: ‘अल्पसंख्यकों पर डाका’
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखे हमले किए हैं। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इसे अल्पसंख्यकों की संस्था पर “डाका” करार देते हुए कहा कि इस तरह बिल को राज्यसभा में जबरन पास करवाना बेहद गलत है। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने कहा कि भाजपा को मुसलमानों के अधिकारों पर बोलने का कोई नैतिक या राजनीतिक अधिकार नहीं है और इस बिल के ज़रिए आरएसएस-भाजपा की अल्पसंख्यक विरोधी सोच उजागर हो गई है। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बिल पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे पूरे देश में यह संदेश गया है कि अल्पसंख्यकों को दबाने की नीयत से यह कानून लाया गया है। 3 अप्रैल को राज्यसभा में यह बिल 128 के समर्थन और 95 के विरोध के साथ पारित हुआ, जबकि 2 अप्रैल को लोकसभा में 288 सांसदों ने इसके पक्ष में और 232 ने विरोध में वोट दिया था। सरकार की ओर से मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे “उम्मीद” नाम देते हुए इसे वक्फ प्रबंधन को प्रभावशाली बनाने वाला बताया, मगर विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों की स्वायत्तता पर हमला मान रहा है।


