देश के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख तय कर दी गई है। 9 सितंबर को मतदान होगा और 21 अगस्त तक नामांकन भरे जाएंगे।

मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई को मंजूर कर लिया। धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उनके इस्तीफे से यह पद रिक्त हो गया। अब चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना 7 अगस्त को जारी करने का ऐलान किया है, जिसके साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस बार एनडीए को लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर कुल 422 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, जो बहुमत के आंकड़े 394 से अधिक है। ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।
6 स्टेप में होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक छह-चरणीय प्रक्रिया के तहत होता है। सबसे पहले निर्वाचक मंडल की सूची बनाई जाती है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं। वर्तमान में कुल 782 सदस्य हैं—542 लोकसभा और 240 राज्यसभा से। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 20 सांसदों का प्रस्ताव और 20 का समर्थन अनिवार्य होता है। चूंकि केवल सांसद ही मतदाता होते हैं, इसलिए चुनाव प्रचार सीमित दायरे में रहता है। मतदान गोपनीय मतपत्र के जरिए प्राथमिकता क्रम में होता है—सांसद प्रत्याशियों को 1, 2, 3… इस तरह से रैंक देते हैं। यदि मैदान में एक ही उम्मीदवार हो तो उसे निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया जाता है। इस बार वोटिंग 9 सितंबर को सुबह 10 से शाम 5 बजे तक होगी और गिनती उसी दिन कुछ घंटों में पूरी कर ली जाएगी। परिणाम देर शाम तक घोषित कर दिए जाएंगे।
NDA के पास संख्याबल का स्पष्ट लाभ
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को संसद में बहुमत का फायदा साफ तौर पर मिल सकता है। लोकसभा की 542 सीटों में से एनडीए के पास 293 सांसद हैं, जबकि I.N.D.I.A. गठबंधन के पास 234 सदस्य हैं। राज्यसभा की प्रभावी 240 सीटों में एनडीए को करीब 130 सांसदों का समर्थन है, जबकि विपक्षी INDIA गठबंधन के पास 79 सांसद हैं। ऐसे में कुल जोड़ में एनडीए के पास 423 और INDIA ब्लॉक के पास 313 सांसदों का समर्थन है। बाक़ी सदस्य या तो निर्दलीय हैं या किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से एनडीए को बढ़त दिलाते हैं, जिससे उनके उम्मीदवार की जीत की संभावना अधिक मानी जा रही है। हालांकि विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वे मुकाबले से हटेंगे नहीं, चाहे संख्याबल उनके पक्ष में न हो।
भाजपा और विपक्ष दोनों रणनीति में जुटे
धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियाँ तेज कर दी हैं। आयोग निर्वाचक मंडल, रिटर्निंग ऑफिसर और अन्य तकनीकी पहलुओं को अंतिम रूप दे रहा है। इस बीच भाजपा की ओर से थावरचंद गहलोत और ओम माथुर के नामों पर चर्चा चल रही है, जिन्हें कर्नाटक और सिक्किम का राज्यपाल बनाया गया है। पार्टी की कोशिश है कि एनडीए के भीतर किसी सहयोगी दल को नहीं, बल्कि भाजपा के ही किसी वरिष्ठ नेता को उम्मीदवार बनाया जाए और फिर बाकी दलों का समर्थन जुटाया जाए। दूसरी ओर, I.N.D.I.A. गठबंधन एक संयुक्त प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी में है। विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह चुनाव केवल संख्या का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक लड़ाई का भी प्रतीक है, इसलिए मैदान में रहना जरूरी है, चाहे जीत की संभावना कम ही क्यों न हो। इससे पहले भी विपक्ष ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों के चुनाव में साझा उम्मीदवार उतारे हैं।


