तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की मदद लेनी चाहिए; वे 2019 से अब तक छह बार यह मसला उठा चुके हैं।

तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिए इस मसले को सुलझाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर UN सुरक्षा परिषद की मदद लेनी चाहिए। एर्दोगन ने अप्रैल में हुए सीजफायर का जिक्र करते हुए इसे सकारात्मक कदम बताया। हालांकि, भारत ने हमेशा तुर्की की ऐसी टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका आंतरिक मामला है। एर्दोगन 2019 से अब तक (2024 को छोड़कर) हर साल UN में कश्मीर का जिक्र कर चुके हैं।
पाकिस्तान के समर्थन में तुर्किये
भारत-पाक तनाव के दौरान तुर्किये ने कई बार पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया है। 17 मई 2025 को एर्दोगन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की थी और हर संभव सहयोग का भरोसा दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए ड्रोन, हथियार और इन्हें चलाने वाले प्रशिक्षित लोग भी मुहैया कराए। एर्दोगन ने कहा था कि यदि दोनों देश तैयार हों, तो वे मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार हैं, क्योंकि तुर्किये की इच्छा है कि पड़ोसी देशों के बीच शांति बनी रहे और तनाव खत्म हो।
भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
इस्तांबुल में 24 मई 2025 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात के दौरान तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तान को खुफिया जानकारी, टेक्नोलॉजी, ऊर्जा, ट्रांसपोर्ट और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग देने का वादा किया था। इस पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और किसी भी देश को इस पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आंतरिक मामलों में दखल देने के बजाय, सीमा पार आतंकवाद को रोकने की बात करना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि यही जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
गाजा पर इजराइल हमलों की निंदा
कश्मीर मुद्दे के साथ ही एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा पर इजराइली हमलों की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे नरसंहार बताते हुए कहा कि पिछले 23 महीनों से हर घंटे एक बच्चे की जान जा रही है। एर्दोगन ने दुनिया से फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की अपील की और उन देशों का आभार जताया जिन्होंने इसे मान्यता दी है। हाल ही में फ्रांस, मोनाको, माल्टा, लक्ज़मबर्ग और बेल्जियम ने फिलिस्तीन को मान्यता दी, जिससे अब इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से चार का समर्थन हासिल है। चीन और रूस पहले ही 1988 में यह मान्यता दे चुके हैं, जबकि अमेरिका अब भी इसका विरोध कर रहा है।


