ट्रम्प ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- भारत पर टैरिफ जरूरी, इससे यूक्रेन जंग थमेगी; निचली अदालत ने अधिकतर टैरिफ को गैर-कानूनी करार दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें विदेशी सामान पर भारी टैरिफ लगाने के उनके अधिकार पर सवाल उठाया गया था। ट्रम्प ने दलील दी कि भारत पर लगाए गए टैरिफ रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए बेहद जरूरी हैं, क्योंकि भारत रूसी तेल खरीद रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि निचली अदालत का फैसला उनकी पिछले पांच महीनों की व्यापारिक बातचीत और यूरोपीय यूनियन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ हुए समझौतों को खतरे में डाल सकता है।
निचली अदालत का फैसला और असर
इससे पहले अपील कोर्ट ने ट्रम्प के ज्यादातर टैरिफ को गैर-कानूनी ठहराया था। अदालत ने कहा था कि ट्रम्प ने इन टैरिफ को लागू करने के लिए 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का इस्तेमाल किया, लेकिन यह कानून उन्हें इतनी बड़ी शक्तियां नहीं देता। कोर्ट ने साफ किया कि राष्ट्रपति के पास हर आयात पर टैरिफ लगाने की असीमित शक्ति नहीं है। हालांकि, फैसले के लागू होने पर रोक अक्टूबर तक के लिए लगाई गई, ताकि ट्रम्प सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें।
भारत पर टैरिफ को लेकर ट्रम्प का हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश ऊंचे टैरिफ लगाकर अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश रहा है और अमेरिकी सामानों पर 100% तक टैरिफ लगाता है। ट्रम्प ने उदाहरण देते हुए कहा कि हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल भारत में बेच पाना मुश्किल था, क्योंकि भारत ने 200% तक टैरिफ लगा रखा था, जिसकी वजह से कंपनी को भारत में ही प्लांट लगाना पड़ा।
जीरो टैरिफ ऑफर और रिश्तों पर बयान
ट्रम्प ने कहा कि अगर अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ नहीं लगाए होते, तो भारत कभी जीरो टैरिफ का ऑफर नहीं देता। उन्होंने इसे अमेरिका की आर्थिक ताकत के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि टैरिफ के बिना भारत ऐसा कदम उठाने को तैयार नहीं होता। हालांकि, ट्रम्प ने साफ किया कि वे भारत पर लगाए गए टैरिफ कम करने का इरादा नहीं रखते, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते बहुत अच्छे हैं।



