
छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में पुलिस की नक्सलियों के खिलाफ मुहिम जारी है। पुलिस वहां आस-पास के इलाकों में माओवादियों के ठिकानों की तलाश करने के लिए उनके खिलाफ बड़ा सर्च ऑपरेशन चला रही है। माओवादियों के गढ़ में 8 जनवरी को सुकमा डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा की संयुक्त पुलिस ने सूचना के आधार पर नक्सल विरोधी सर्च अभियान शुरू किया है। इसमें अब तक तीन नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है। आज सुबह से सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच रूक-रूक कर मुठभेड़ हो रही है। राज्य के जगरगुंडा इलाके में दो दर्जन से ज्यादा नक्सलियों को पुलिस फोर्स ने घेर लिया है और लगातार अभियान चला रही है। वहीं, खुफिया सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, पुलिस पर हुए बीजापुर नक्सली हमले के बाद सुकमा इलाके में नक्सली एक बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। जैसे ही पुलिस को इसकी भनक मिली पुलिस ने नक्सलियों को चारों ओर से घेर लिया और एनकाउंटर शुरू कर दिया। उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस मुठभेड़ की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुकमा में चल रहे एंटी-नक्सल ऑपरेशन में यह बड़ी सफलता मिली है। विजय शर्मा ने कहा कि हमारे जवानों की ताकत और साहस के दम पर नक्सल समस्या को तय समय में खत्म कर दिया जाएगा।
दरअसल, बीजापुर में हुए नक्सली हमले के बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए तीन नक्सलियों को ढेर कर दिया है। छत्तीसगढ़ में पुलिस पर हुए नक्सली आईइडी हमले के बाद पुलिस ने ये कार्रवाई शुरू की है। पिछले दिनों आईजी सुंदरराज पी ने बताया था कि पिछले साल सात जिलों वाले बस्तर डिवीजन में 792 नक्सलियों ने सरेंडर किया था। कुटरू पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत अंबेली गांव के पास सुरक्षा कर्मियों को ले जा रहे काफिले में शामिल एक वाहन को नक्सलियों ने आईइडी ब्लास्ट से उड़ा दिया था, जिसमें राज्य पुलिस की दोनों इकाइयों डीआरजी और बस्तर फाइटर्स के 4-4 जवानों और एक ड्राइवर की मौत हो गई थी। पिछले दो सालों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर किया गया ये सबसे बड़ा हमला था।
‘मिट्टी के बेटे’ कहे जाने वाले डीआरजी कर्मियों को बस्तर संभाग में स्थानीय युवाओं और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के बीच से भर्ती किया जाता है। डीआरजी को राज्य में फ्रंट लाइन एंटी-नक्सल फोर्स जाता है। पिछले चार दशकों से जारी वामपंथी उग्रवाद के खतरे से निपटने के लिए, लगभग 40,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले बस्तर डिवीजन के सात जिलों में अलग-अलग समय में डीआरजी की स्थापना की गई थी।


