सम्राट विक्रमादित्य का नाम न्यायप्रियता, पराक्रम और ज्ञानशीलता के लिए सदियों से पूरे विश्व में श्रद्धा के साथ लिया जाता है। उन्होंने न केवल विदेशी आक्रांताओं को पराजित कर भारतीय संस्कृति की रक्षा की, बल्कि 2082 वर्ष पूर्व विक्रम संवत का प्रवर्तन कर भारतीय कालगणना की नींव भी रखी। उनकी शासन प्रणाली में गणराज्य की स्थापना और मंत्रिमंडल की जवाबदेही जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं शामिल थीं, जो आज भी अनुकरणीय मानी जाती हैं।

दिल्ली में होगा तीन दिवसीय विक्रमोत्सव
सम्राट विक्रमादित्य के इन्हीं गुणों से आमजन को परिचित कराने के उद्देश्य से दिल्ली में तीन दिवसीय विक्रमोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी आमंत्रित किया गया है। इस उत्सव में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन, उनकी शासन व्यवस्था और उनकी नीतियों पर विशेष प्रकाश डाला जाएगा।
सम्राट विक्रमादित्य का सुशासन बना प्रेरणा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस आयोजन को लेकर कहा कि भगवान श्रीराम के बाद यदि किसी का शासन सुशासन की मिसाल पेश करता है, तो वह सम्राट विक्रमादित्य हैं। उनकी दूरदर्शिता और 32 योग्य मंत्रियों के माध्यम से स्थापित ‘सिंहासन बत्तीसी’ प्रणाली ने प्रशासनिक कुशलता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रदेश सरकार देशभर में विक्रमोत्सव के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य की जीवनशैली और उनके सुशासन के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है।

नई दिल्ली में होगा भव्य विक्रमोत्सव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जानकारी दी कि आगामी 12, 13 और 14 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में सम्राट विक्रमादित्य पर केंद्रित भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आमंत्रित किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध पहलुओं को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम होगा।
विक्रमोत्सव से जन-जन तक पहुंचेगा सुशासन का संदेश
डॉ. यादव ने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में उनके मंत्रिमंडल में प्रत्येक मंत्री अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ थे, जो विभिन्न प्रदेशों से आकर उनकी सुशासन प्रणाली को मजबूत कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने गर्व के साथ कहा कि सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी उज्जैन होना मध्यप्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है। इसके अलावा, गुड़ी पड़वा के अवसर पर सम्राट विक्रमादित्य के जीवन चरित्र पर केंद्रित विशेष आयोजन प्रदेशभर में किए जाएंगे, जिनमें राज्य के बाहर भी कार्यक्रम आयोजित होंगे।


