सुप्रीम कोर्ट में आज ईडी की गिरफ्तारी, तलाशी और संपत्ति जब्ती की शक्तियों को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होगी, जिसमें 2022 के फैसले पर रोक की मांग की गई है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्तारी, संपत्ति जब्ती और तलाशी जैसी विशेष शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज से पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो रही है। ये याचिकाएं उस ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ दाखिल की गई हैं जो 27 जुलाई 2022 को आया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए (PMLA) के तहत ईडी की शक्तियों को पूरी तरह बरकरार रखा था। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम भी शामिल हैं। उन्होंने और अन्य याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि फैसले में कई संवैधानिक त्रुटियां हैं, जिन पर पुनर्विचार जरूरी है। कोर्ट पहले ही 24 अगस्त 2022 को इन याचिकाओं की सुनवाई खुली अदालत में करने का आदेश दे चुका है।
13 कानूनी सवालों पर बहस
सुनवाई की अध्यक्षता कर रही जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कुल 13 अहम कानूनी सवाल उठाए हैं, जिन पर विस्तार से विचार किया जाएगा। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पिछली सुनवाई में तर्क दिया था कि 2022 के फैसले में कई “गंभीर कानूनी गलतियां” हैं, जिनका असर नागरिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों पर पड़ता है। वहीं, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने फैसले को पूरी तरह सही ठहराते हुए पुनर्विचार की मांग को खारिज करने की अपील की है। बेंच ने स्पष्ट किया कि पहले सभी पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी, ताकि यह तय हो सके कि क्या याचिकाएं वास्तव में पुनर्विचार योग्य हैं या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ईडी को दी थी खुली छूट
जुलाई 2022 में जस्टिस ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में पूछताछ, समन जारी करने, संपत्ति जब्त करने, छापे मारने और गिरफ्तारी जैसे व्यापक अधिकार बरकरार रखे थे। साथ ही, जमानत की प्रक्रिया को भी बेहद सख्त बनाए रखने की पुष्टि की गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) में किए गए संशोधनों को एक वित्त विधेयक की तरह पास करने के तरीके को लेकर उठे सवालों पर विचार अब एक बड़ी बेंच करेगी। जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस सीटी रवि कुमार ने भी यह स्पष्ट किया था कि पुनर्विचार याचिकाएं अपील का रूप न ले लें, इसका ध्यान रखना जरूरी है।
ईडी की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
21 जुलाई को एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए थे, जब एजेंसी ने कुछ वकीलों को समन भेजे थे। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने इस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ईडी की ये हरकतें कानून के पेशे की स्वतंत्रता पर सीधा हमला हैं और एजेंसी “हर हद पार” कर रही है। कोर्ट ने इस मामले में खुद संज्ञान लिया और स्पष्ट किया कि वकीलों को इस तरह से तंग करना संवैधानिक अधिकारों का हनन हो सकता है। यह टिप्पणी ईडी की जांच प्रक्रियाओं और शक्ति के दुरुपयोग को लेकर न्यायपालिका की चिंताओं को रेखांकित करती है।


