प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एशिया के पहले वर्टिकल लिफ्ट स्पैन रेलवे ब्रिज — नया पम्बन ब्रिज — का उद्घाटन किया। 2.08 किमी लंबे इस ब्रिज की नींव खुद मोदी ने नवंबर 2019 में रखी थी। यह ब्रिज पम्बन द्वीप को तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है, जिससे रामेश्वरम की रेलवे कनेक्टिविटी दोबारा बहाल हो गई है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस ब्रिज को डबल ट्रैक और हाई-स्पीड ट्रेनों के अनुरूप डिजाइन किया गया है। स्टील से बने इस ब्रिज पर पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है, जो इसे समुद्री जंग से बचाएगी।

पम्बन ब्रिज बना भारत की नई इंजीनियरिंग पहचान
नया पम्बन ब्रिज आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम से लैस है, जिससे इसका सेंटर स्पैन महज 5 मिनट में 22 मीटर ऊपर उठ सकता है — और यह काम केवल एक ऑपरेटर द्वारा किया जा सकता है। इसके मुकाबले, पुराने पुल को मैन्युअली लीवर से 14 लोगों द्वारा संचालित किया जाता था। हालांकि, तेज हवाओं (58 किमी/घंटे या अधिक) के दौरान यह सिस्टम स्वत: बंद हो जाएगा और रेड सिग्नल एक्टिवेट हो जाएगा। तकनीकी प्रगति के साथ-साथ यह स्थान धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही वह क्षेत्र है जहाँ से रामायण के अनुसार भगवान राम ने रामसेतु का निर्माण शुरू किया था।
संतुलन की तकनीक पर टिका है नया पम्बन ब्रिज
नया पम्बन वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज एक एडवांस बैलेंसिंग सिस्टम पर आधारित है, जिसमें काउंटर-वेट्स और शिव्स (विशाल पहिए) लगे हैं। जब ब्रिज का सेंटर स्पैन ऊपर उठाया जाता है, तो यह काउंटर-वेट्स और शिव्स की मदद से संतुलित रहता है। इससे न केवल ब्रिज को भारी वजन उठाने में आसानी होती है, बल्कि इसकी लिफ्टिंग प्रक्रिया भी बेहद स्मूद और सुरक्षित हो जाती है। ब्रिज जब नीचे आता है, तो काउंटर-वेट्स उसका भार खुद संभाल लेते हैं, जिससे इंजन या अन्य मशीनरी पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। यही तकनीक ब्रिज की मजबूती और टिकाऊपन की सबसे बड़ी वजह है।

ट्रायल से लेकर सुरक्षा तक
दक्षिण रेलवे ने इस ब्रिज की मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई चरणों में ट्रायल किए। 12 जुलाई 2024 को लाइट इंजन ट्रायल रन और 4 अगस्त को टावर कार ट्रायल के बाद, 31 जनवरी 2025 को रामेश्वरम एक्सप्रेस का सफल ट्रायल भी किया गया। इसी दौरान पहली बार ब्रिज को इंडियन कोस्ट गार्ड की बोट के लिए ऊपर उठाया गया। रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने ब्रिज के लिए 75 किमी/घंटा और लिफ्टिंग स्पैन के लिए 50 किमी/घंटा की गति सीमा तय की है। दक्षिण रेलवे के अनुसार, इस ब्रिज की सतह पर जंग रोधी तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे यह बिना मेंटेनेंस के 38 साल और न्यूनतम रखरखाव के साथ 58 साल तक सुरक्षित रहेगा।



