मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग के 27% आरक्षण को लेकर बीजेपी सरकार की निष्क्रियता और टालमटोल को लेकर अब देश की सर्वोच्च अदालत ने भी सख्त रुख अपना लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई 2025 की सुनवाई में राज्य सरकार को करारी फटकार लगाते हुए मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण माँगा कि अब तक 13% रिक्त पदों पर आरक्षण क्यों रोका गया है। कोर्ट ने तीखे लहजे में कहा कि सरकार कोर्ट में आरक्षण का विरोध करती है और बाहर ओबीसी हितैषी होने का दिखावा करती है, जो पूरी तरह से दोहरापन और धोखा है। यह टिप्पणी बीजेपी सरकार की ओबीसी विरोधी मानसिकता और संविधान विरोधी नीतियों की पोल खोलती है।
ओबीसी अधिकारों के लिए आरपार की लड़ाई
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 27% ओबीसी आरक्षण तुरंत लागू करने की मांग दोहराई और चेतावनी दी कि अब यह अन्याय और नहीं सहेगा जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि अगर सरकार ने अविलंब कोई कार्रवाई नहीं की, तो कांग्रेस ओबीसी समाज के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में निर्णायक आंदोलन छेड़ेगी। कांग्रेस का यह रुख सामाजिक न्याय, संवैधानिक अधिकारों और बहुसंख्यक वर्ग की गरिमा को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक सशक्त कदम माना जा रहा है।
सरकार की चालबाज़ी उजागर
मध्यप्रदेश सरकार ओबीसी आरक्षण को लागू करने में जानबूझकर देर कर रही है और अदालतों का सहारा लेकर केवल समय बर्बाद कर रही है। जब हाईकोर्ट में 70 बार सुनवाई के बाद फैसला आने की स्थिति बनी, तो सरकार ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करवा दिया, जिससे प्रक्रिया फिर से लंबी हो गई। सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार की मंशा तारीख पर तारीख लेने की ही रही – 4 जुलाई को भी अधिवक्ता वरुण ठाकुर के आग्रह के बावजूद सरकार कोई ठोस जवाब नहीं दे सकी। यह दिखाता है कि सरकार अपनी ही बनाई नीतियों को लागू करने में रुचि नहीं रखती और ओबीसी समाज को सिर्फ एक राजनीतिक मोहरा मान रही है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने 25 जून और 4 जुलाई की सुनवाई में सरकार को स्पष्ट शब्दों में फटकार लगाई, सवाल किया कि जब 27% ओबीसी आरक्षण पर कोई कानूनी रोक नहीं है, तो इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा। हाईकोर्ट ने भी 26 फरवरी को साफ कर दिया था कि इस आरक्षण पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बावजूद इसके, सरकार 13% चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं दे रही है। यह न केवल संवैधानिक उल्लंघन है, बल्कि युवाओं और उनके परिवारों के भविष्य से क्रूर मज़ाक है। सुप्रीम कोर्ट तक ने कहा – “यह पहली सरकार है जो कोर्ट में आरक्षण का विरोध करती है और बाहर समर्थन का दिखावा।”
कांग्रेस का अल्टीमेटम, आंदोलन की चेतावनी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि ओबीसी आरक्षण को तुरंत लागू नहीं किया गया और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्तियाँ नहीं दी गईं, तो कांग्रेस ओबीसी समाज के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगी। हर जिले, हर तहसील, और हर गाँव में बीजेपी के ओबीसी विरोधी चेहरे को बेनकाब किया जाएगा। यह आंदोलन सिर्फ अधिकार के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, संविधान और सम्मान की रक्षा के लिए होगा। कांग्रेस ने स्पष्ट किया – यह लड़ाई तब तक चलेगी, जब तक 27% आरक्षण पूरी तरह लागू नहीं हो जाता।


