मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में राजधानी भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास पर गौ-शाला सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें गो-सेवा व संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श हुआ।

राजधानी भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास में पहली बार भव्य गौ-शाला सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशभर से आए गौपालकों एवं गौशाला संचालकों से सीधा संवाद किया। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में सरकारी और निजी दोनों ही तरह की गौ-शालाओं के प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर गौ-शालाओं को 90 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता राशि भी ट्रांसफर की। कार्यक्रम के दौरान सीएम ने गौसेवा को आत्मनिर्भरता से जोड़ने की बात करते हुए कहा कि गौशालाएं केवल संरक्षण का केंद्र नहीं, बल्कि ऊर्जा, चिकित्सा और दुग्ध उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं।
पशुपालन विभाग का बदला जाएगा नाम
सम्मेलन में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक और बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि प्रदेश में अब पशुपालन विभाग का नाम बदला जाएगा, जिससे गौसेवा और पशुधन विकास को और अधिक सम्मानजनक पहचान मिल सके। उन्होंने बताया कि जहां 2003 में विभाग का बजट मात्र 300 करोड़ रुपये था, वहीं आज यह बढ़कर 2600 करोड़ रुपये हो चुका है, जो सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है। कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने गाय के दूध की खरीद पर प्रतिबंध लगाए, जबकि वर्तमान सरकार ने निर्णय लिया है कि अब गाय का दूध भी सम्मान से खरीदा जाएगा। सीएम ने यह भी सुझाव दिया कि गौशालाओं में दूध के साथ-साथ CNG और औषधियां बनाने की संभावनाओं को भी तलाशा जाए।
घर-घर गोपालन का संकल्प
गौ-शाला सम्मेलन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि गौशालाओं का संचालन खर्च ₹20 से बढ़ाकर ₹40 प्रतिदिन किया गया है, जिससे इन्हें और अधिक स्वावलंबी बनाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि प्रत्येक घर में गोपालन हो और यह संस्कृति समाज के हर वर्ग तक पहुँचे। सीएम ने सीएम हाउस को आमजन का निवास बताते हुए कहा कि यह सिर्फ मुख्यमंत्री का निवास नहीं, बल्कि आप सभी का घर है। साथ ही उन्होंने प्रदेश को दूध उत्पादन में भी देश में अग्रणी बनाने का आह्वान किया, ठीक उसी तरह जैसे मध्यप्रदेश आज कृषि उत्पादन में नंबर वन है।
सम्मेलन में हुआ ऐतिहासिक ऐलान
सम्मेलन के सबसे अहम क्षण में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पशुपालन विभाग के नाम परिवर्तन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अब विभाग को “पशुपालन एवं गोपालन विभाग” के नाम से जाना जाएगा, जिससे गो-सेवा को संस्थागत मान्यता और अधिक मजबूती मिलेगी। यह फैसला प्रदेश में गोपालन को प्राथमिकता देने की सरकार की मंशा को दर्शाता है। सम्मेलन में मंच पर सीएम के साथ मंत्री विश्वास सारंग, लखन पटेल, विधायक भगवान दास सबनानी और भोपाल की महापौर मालती राय भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम को मंत्री लखन पटेल ने भी संबोधित किया और प्रदेश में गोपालन को एक सामाजिक आंदोलन बनाने की बात कही।


