मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ। सामान्य चर्चा के दौरान कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि सरकार प्रदेश की जनता को लगातार कर्ज में डुबो रही है। कांग्रेस नेताओं ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर प्रदेश को आर्थिक संकट में कब तक धकेला जाएगा। इस पर भाजपा विधायकों ने जवाब देते हुए सरकार का पक्ष रखा और कहा कि प्रदेश के विकास कार्यों के लिए यह आवश्यक कदम है।
नक्सली एनकाउंटर और बस संचालन पर गरमाई राजनीति
सत्र के दौरान मंडला नक्सली एनकाउंटर का मुद्दा भी सदन में गरमाया। विपक्ष ने इस मामले में सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग की। वहीं, भोपाल में संचालित लाल बसों के संचालन को लेकर भी विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि लाल बसों के संचालन में अनियमितताएं हो रही हैं, जिससे जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस पर भाजपा विधायकों ने सफाई देते हुए कहा कि सरकार इस विषय पर गंभीर है और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा।
तीन दिवसीय अवकाश के बाद सत्र में भारी हंगामा
तीन दिन के अवकाश के बाद जैसे ही विधानसभा सत्र दोबारा शुरू हुआ, सदन में माहौल गर्म हो गया। प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस विधायकों ने सरकार की आर्थिक नीतियों, नक्सली हमले और परिवहन व्यवस्था को लेकर सवालों की झड़ी लगा दी। हंगामे के कारण कई बार कार्यवाही में रुकावट भी आई, लेकिन दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक के बावजूद सदन की कार्यवाही जारी रही।

कांग्रेस का सवाल: जनता को कितना कर्ज में डुबोएगी सरकार?
बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 और 2025-26 के राजकोषीय घाटे में 25 फीसदी का अंतर है, जो चिंताजनक है। बाला बच्चन ने पूछा कि आखिर सरकार प्रदेश की जनता को कितना कर्ज में डुबोएगी। कांग्रेस विधायक नितेंद्र सिंह राठौड़ ने भी आरोप लगाया कि विभागवार बजट में किसी को कुछ खास नहीं मिला है, जिससे विकास कार्यों पर असर पड़ सकता है।
बीजेपी का जवाब: जल जीवन मिशन से बदल रही गांवों की तस्वीर
भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में पहले जिन गांवों में सड़कें नहीं थीं, वहां लोगों को 15-15 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था। इससे ऐसे गांवों में विवाह तक प्रभावित होते थे, क्योंकि बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते लोग वहां अपनी बेटियां ब्याहने से कतराते थे। भार्गव ने कहा कि अब हालात बदल गए हैं। सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत 17,136 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे घर-घर में नल से पानी पहुंच रहा है और गांवों में जरूरी सुविधाएं तेजी से विकसित हो रही हैं।



