सीएम के हस्तक्षेप के बाद इंदौर चिड़ियाघर के सबसे पुराने हाथी ‘मोती’ की गुजरात भेजे जाने की प्रक्रिया रोक दी गई।

इंदौर चिड़ियाघर का सबसे पुराना हाथी ‘मोती’ अब शहर में ही रहेगा। उसे गुजरात के जामनगर स्थित राधे कृष्ण मंदिर एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट भेजने की तैयारी चल रही थी, जहां बीमार हाथियों की देखभाल की जाती है। ट्रस्ट ने मोती की खराब हालत और ‘जूकोसिस’ बीमारी का हवाला देकर उसे तत्काल शिफ्ट करने की अनुमति मांगी थी।
सीएम के हस्तक्षेप से रुकी प्रक्रिया
जांच में सामने आया कि मोती की सेहत स्थिर है और उसकी देखभाल चिड़ियाघर में अच्छे स्तर पर की जा रही है। प्रभारी डॉ. उत्तम यादव के अनुसार, उम्रदराज मोती को दूसरी जगह भेजना उसके शरीर और मन दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता था। यही कारण रहा कि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद मोती को भेजने की योजना रद्द कर दी गई।
शहर की भावनाओं से जुड़ा ‘मोती’
65 वर्षीय ‘मोती’ सिर्फ इंदौर चिड़ियाघर का हिस्सा नहीं, बल्कि शहर की यादों का अहम हिस्सा बन चुका है। पीढ़ियों ने उसे बड़ा होते देखा है और उसकी मौजूदगी से भावनात्मक रूप से जुड़ चुके हैं। जब उसके गुजरात भेजे जाने की खबर आई, तो शहरभर में विरोध की लहर उठी। न सिर्फ चिड़ियाघर प्रबंधन, बल्कि सामाजिक संगठनों, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने भी मोती को रोकने की अपील की। एमआईसी सदस्य नंदू पहाड़िया ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर आग्रह किया कि मोती को इंदौर में ही रहने दिया जाए।
सीएम के आदेश से रुकी मोती की विदाई
जनभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद इस मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने संवेदनशीलता दिखाते हुए मोती को भेजने की प्रक्रिया रोकने के निर्देश दिए। सीएम के आदेश के बाद ट्रांसफर की पूरी कवायद रोक दी गई है। अब लगभग तय है कि इंदौर का मोती अपने ही घर, चिड़ियाघर में रहेगा — जहां से वह शहर के हर दिल में मुस्कान लाता रहा है।


