संसद के मानसून सत्र के 12वें दिन SIR मुद्दे पर हंगामे के आसार, पीएम मोदी लंबे अंतराल के बाद NDA सांसदों की बैठक को करेंगे संबोधित।

संसद के मानसून सत्र का मंगलवार को 12वां दिन है और एक बार फिर सदन में राजनीतिक तनाव के आसार हैं। बिहार में वोटर्स लिस्ट रिवीजन (SIR) के मुद्दे को लेकर विपक्ष पहले ही आक्रामक रुख अपना चुका है। सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने SIR पर चर्चा की मांग करते हुए जोरदार हंगामा किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही पहले दोपहर 2 बजे तक और फिर मंगलवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी गई थी। राज्यसभा में भी सांसद शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। ऐसे में आज भी विपक्ष इस मुद्दे को उठाने की पूरी तैयारी में है, जिससे दोनों सदनों में गतिरोध की स्थिति बनी रह सकती है।
अहम बिल हो सकते हैं पेश
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय बाद एनडीए संसदीय दल की बैठक को संबोधित करेंगे। इस बैठक में भाजपा सहित गठबंधन के सभी सांसद शामिल होंगे और सत्र के आगामी एजेंडे को लेकर रणनीति पर चर्चा हो सकती है। बैठक ऐसे समय हो रही है जब सदन में लगातार गतिरोध बना हुआ है और सरकार कई अहम विधेयक पारित कराने के प्रयास में है। लोकसभा में आज सरकार द्वारा नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 और नेशनल एंटी-डोपिंग एक्ट (संशोधन) बिल, 2025 पेश किए जाने की संभावना है। इस बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने चेतावनी दी है कि यदि विपक्ष इसी तरह काम में बाधा डालता रहा तो सरकार को मजबूरन आवश्यक बिलों को पारित कराने के लिए वैकल्पिक रास्ते अपनाने होंगे।
सिर्फ दो दिन चली पूरी कार्यवाही
21 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में अब तक कामकाज बुरी तरह प्रभावित रहा है। बीते 11 दिनों में सदन की कार्यवाही अधिकांश समय हंगामे की भेंट चढ़ गई। बिहार में वोटर्स वेरिफिकेशन (SIR) को लेकर विपक्ष ने लगातार विरोध-प्रदर्शन किया, जिससे संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल सकी। अब तक सिर्फ दो दिन—28 और 29 जुलाई—ऐसे रहे जब दोनों सदनों में पूरे दिन की कार्यवाही संभव हो पाई। इन दो दिनों में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई थी। बाकी दिनों में विपक्ष के तेवर तीखे रहे और हर बार SIR पर चर्चा की मांग करते हुए सदन को बाधित किया गया। लगातार रुकावटों के चलते न तो विधायी कार्य आगे बढ़ सका और न ही सरकार की ओर से प्रस्तावित बिलों पर चर्चा हो पाई, जिससे जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श अधर में रह गया है।


