दीपावली से पहले जीतू पटवारी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा—“जब बेरोजगारी, महंगाई और असुरक्षा का अंधेरा फैला हो, तो खुशियों का उजाला कैसे हो सकता है?”

दीपावली से ठीक पहले जीतू पटवारी ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जब किसान एमएसपी के लिए भटक रहा हो, युवा बेरोजगारी की आग में झुलस रहा हो, महिलाएं असुरक्षित हों और महंगाई ने रसोई की लौ ठंडी कर दी हो, तो दीपावली कैसे रोशन हो सकती है? कांग्रेस नेता ने एक “श्वेत पत्र” जारी कर सरकार की छह बड़ी विफलताएं उजागर कीं—रोजगार, सड़कें, किसान, महंगाई, महिला सुरक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर प्रदेश की दुर्दशा को आंकड़ों के साथ सामने रखा।
‘खुशहाली के दावे’ बनाम ‘जमीनी हकीकत’
पटवारी ने कहा कि प्रदेश में 25 लाख से अधिक युवा रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत हैं, लेकिन सरकार केवल 4 लाख नौकरियों का दावा करती है। सड़कों पर हालत इतनी खराब है कि भोपाल-देवास जैसी हाईवे परियोजनाओं पर लागत का पांच गुना टोल वसूला जा चुका है, फिर भी सड़कें गड्ढों से पट चुकी हैं। उन्होंने सवाल उठाया—“जब सड़कें टूटी हों और घरों में रोज़गार की रोशनी न हो, तो दीपावली के दीये कैसे जलेंगे?
दीपावली से पहले पटवारी का वार
जीतू पटवारी ने कहा कि जब मजदूरों को सिर्फ ₹1 की वेतन वृद्धि मिले, महिलाएं और बच्चे सुरक्षित न हों, और महंगाई लगातार बढ़ रही हो, तो दीपावली का उत्सव कैसे उज्जवल हो सकता है। कांग्रेस नेता ने सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि महंगाई की आग में जनता झुलस रही है, सड़कों पर टोल की लूट जारी है, और बेरोजगार युवाओं के सपने टूट रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के हालात इतने खराब हैं कि मध्य प्रदेश में बच्चों की मृत्यु दर देश में दूसरी सबसे अधिक है। उन्होंने सवाल उठाया—“जब घरों में रौशनी की जगह चिंता का अंधेरा हो, तो यह कैसा विकास है?”
कांग्रेस की चेतावनी
पटवारी ने सरकार से छह बड़े सवाल पूछते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की—टोल वसूली बंद हो, न्यूनतम वेतन संशोधित किया जाए, किसानों को एमएसपी मिले, और महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा के लिए SIT बने। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने इन मुद्दों पर जवाब नहीं दिया, तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर जनता की आवाज बनेगी। “दीपावली का असली उजाला तभी आएगा,” उन्होंने कहा, “जब आम नागरिक को बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और असुरक्षा के अंधेरे से मुक्ति मिले।”


