जबलपुर हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के कारण बचा हुआ जहरीला कचरा नष्ट करने के लिए राज्य सरकार को हरी झंडी दे दी है। हाईकोर्ट ने यह फैसला तीन ट्रायल रनों की रिपोर्ट के आधार पर दिया, जिसमें पुष्टि हुई कि इस प्रक्रिया से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। राज्य सरकार ने यह ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा किया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने कचरे के सुरक्षित निपटान की इजाजत दी। इस फैसले के साथ ही पीथमपुर स्थित फैक्ट्री में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनिष्टीकरण का रास्ता साफ हो गया है।
सुरक्षित प्रक्रिया के तहत होगा कचरे का निपटान
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कचरा विनिष्टीकरण की प्रक्रिया में सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार धीरे-धीरे इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकती है ताकि कोई भी पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न न हो। यह फैसला गैस त्रासदी के पीड़ितों और पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे दशकों पुरानी समस्या का समाधान संभव हो सकेगा।

तीन चरणों में हुआ सफल ट्रायल रन
यूनियन कार्बाइड के कचरे के सुरक्षित विनिष्टीकरण के लिए राज्य सरकार ने तीन चरणों में ट्रायल रन किया था। पहला ट्रायल रन 27 फरवरी को हुआ, दूसरा 4 मार्च को और तीसरा 17 मार्च को संपन्न हुआ। प्रत्येक चरण में 10-10 मीट्रिक टन कचरा नष्ट किया गया। इन ट्रायल रनों की कम्पाइल रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत की गई, जिसके आधार पर न्यायालय ने कचरा विनिष्टीकरण को हरी झंडी दे दी। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि इस प्रक्रिया से पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुंचेगी।
बढ़ते स्तर पर हुआ कचरे का निपटान
ट्रायल रन के दौरान तीनों चरणों में कचरा विनिष्टीकरण की प्रक्रिया अलग-अलग क्षमता के साथ की गई। पहले चरण में 135 किलो प्रति घंटे की दर से कचरा नष्ट किया गया, दूसरे चरण में यह क्षमता 170 किलो प्रति घंटे थी, जबकि तीसरे चरण में 270 किलो प्रति घंटे की दर से कचरे का निपटान किया गया। इसके अलावा, स्थानीय जनता को जागरूक करने के लिए पहले अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाए गए थे, ताकि विनिष्टीकरण प्रक्रिया को लेकर आमजन में विश्वास और जागरूकता बनी रहे।



