उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस-वोटिंग पर सियासी घमासान, TMC ने BJP पर सांसद खरीदने का आरोप लगाया तो भाजपा ने विपक्षी गठबंधन में फूट का दावा किया।

उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी सांसदों के क्रॉस-वोटिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। TMC सांसद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे ने आरोप लगाया कि भाजपा ने विपक्षी सांसदों को खरीदने के लिए 15–20 करोड़ रुपये तक खर्च किए। वहीं, भाजपा ने इसे विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की फूट करार देते हुए कहा कि यह सांसदों की “अंतरात्मा की आवाज” थी। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी तंज कसते हुए उन सांसदों का धन्यवाद किया जिन्होंने NDA उम्मीदवार को वोट दिया।
राधाकृष्णन की बड़ी जीत, विपक्ष में दरार के संकेत
मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 788 में से 767 सांसदों ने मतदान किया। इसमें NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि I.N.D.I.A. उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट हासिल हुए। 15 वोट अमान्य करार दिए गए। NDA के पास सहयोगी दलों सहित 438 सांसदों का समर्थन था, लेकिन राधाकृष्णन को 14 अतिरिक्त वोट मिले, जो विपक्ष से क्रॉस-वोटिंग का संकेत देते हैं। इसी वजह से चुनाव परिणाम ने विपक्षी एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं
क्रॉस-वोटिंग पर भाजपा और विपक्ष आमने-सामने
उपराष्ट्रपति चुनाव में आए नतीजों के बाद क्रॉस-वोटिंग पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। भाजपा का कहना है कि विपक्ष के कम से कम 15 सांसदों ने NDA उम्मीदवार को वोट दिया, जबकि कुछ ने जानबूझकर अमान्य वोट डाले। दूसरी ओर विपक्ष ने दावा किया कि उनके 315 सांसद पूरी तरह एकजुट रहे। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि अगर क्रॉस-वोटिंग हुई है तो इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। वहीं, RJD नेता तेजस्वी यादव ने साफ किया कि उनकी पार्टी के 9 सांसदों ने गठबंधन उम्मीदवार को ही वोट दिया।
गुप्त मतदान बना विवाद की जड़
NCP की सुप्रिया सुले ने सवाल उठाया कि जब मतदान गुप्त था, तो भाजपा को कैसे पता कि किसने किसे वोट दिया। शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद अरविंद सावंत ने भी तंज कसते हुए कहा कि अमान्य वोट डालने वाले सांसद या तो अनपढ़ हैं या भाजपा की चाल में फंस गए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने एजेंसियों के जरिए सांसदों को ब्लैकमेल किया होगा। दरअसल, उपराष्ट्रपति चुनाव में पार्टी व्हिप लागू नहीं होता और गुप्त मतपत्र से वोटिंग होती है, इसलिए असल में किस सांसद ने किसे वोट दिया, इसका पता लगाना असंभव है। यही वजह है कि क्रॉस-वोटिंग ने विपक्ष के भीतर अविश्वास और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।


