सीपी राधाकृष्णन 152 वोटों से जीतकर देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने, चुनाव में 14 विपक्षी सांसदों ने भी उन्हें वोट दिया।

देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराया। मंगलवार को हुए मतदान में 788 में से 767 सांसदों ने वोट डाले। राधाकृष्णन को 452 और रेड्डी को 300 वोट मिले, जबकि 15 वोट अमान्य करार दिए गए। चुनाव नतीजों से साफ है कि कम से कम 14 विपक्षी सांसदों ने NDA उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। भाजपा का दावा है कि विपक्ष के कुछ सांसदों ने जानबूझकर वोट अमान्य भी डाले।
राजनीतिक सफर और अधूरी कहानी
राधाकृष्णन अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में कोयंबटूर से दो बार सांसद चुने गए थे। वे एक बार केंद्रीय मंत्री बनने के बेहद करीब भी पहुंचे थे, लेकिन नाम की समानता के कारण उन्हें पद नहीं मिल पाया और यह जिम्मेदारी पोन राधाकृष्णन को सौंप दी गई। लंबे राजनीतिक अनुभव और संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले राधाकृष्णन अब देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर पहुंचकर नया इतिहास रच चुके हैं।
भाजपा का दक्षिणी दांव
भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर साफ संकेत दिया कि उसकी नजर दक्षिण भारत पर है। 2026 में तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2021 में तमिलनाडु में भाजपा ने 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 4 सीटें जीती थीं और वोट शेयर 2.6% रहा था। पार्टी अब वोट शेयर बढ़ाने की कोशिश करेगी। वहीं, केरल में भाजपा के पास अभी तक कोई विधायक नहीं है और पिछली बार एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। उपराष्ट्रपति चुनाव के जरिए भाजपा ने इन राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है।
विचारधारा पर आधारित मतदान
इस उपराष्ट्रपति चुनाव में क्षेत्रीय और भाषाई पहचान की बजाय विचारधारा हावी रही। तमिलनाडु की सत्ताधारी DMK ने राधाकृष्णन को एक भी वोट नहीं दिया, जबकि विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी तेलुगु भाषी होने के बावजूद आंध्र प्रदेश की टीडीपी और वाईएसआरसीपी से समर्थन नहीं पा सके। दोनों उम्मीदवारों को अपने-अपने राजनीतिक ब्लॉक यानी NDA और INDIA से ही वोट मिले। टीडीपी नेताओं ने साफ कहा कि व्हिप न होने के बावजूद वोट पार्टी लाइन के अनुसार पड़े, जिससे साबित होता है कि संगठन पर दोनों खेमों की मजबूत पकड़ है। BJD और BRS जैसी पार्टियों ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन उनके सांसद पार्टी फैसले के अनुरूप रहे।


