महाकाल लोक में सीएम मोहन यादव ने लाइट एंड साउंड शो और श्रीअन्न अभियान की शुरुआत की, पीएम मोदी की प्रेरणा से मध्यप्रदेश में बढ़ रहा श्रीअन्न का चलन।

उज्जैन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महाकाल लोक परिसर में लाइट एंड साउंड शो, बैंड और श्रीअन्न लड्डू की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से वाद्ययंत्रों का विशेष महत्व रहा है — शंख, नगाड़े और घड़ियाल पराक्रम का प्रतीक रहे हैं। अब महाकाल के दरबार में पारंपरिक और आधुनिक संगीत का संगम दिखाई देगा। मुख्यमंत्री ने प्रसाद में श्रीअन्न लड्डू शामिल करने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे उपवास करने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी और यह हमें आदिवासी संस्कृति से भी जोड़ता है।
अवंतिका की महिमा फिर हुई जीवंत
सीएम मोहन यादव ने कहा कि महाकाल लोक का लोकार्पण अवंतिका की अमर गाथा को पुनर्जीवित करता है। रुद्रसागर के किनारे एक साथ मिली ये तीन सौगातें न केवल उज्जैन बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय हैं। उन्होंने कहा कि बाबा महाकाल पर सबका अधिकार है, और यहां की हर गतिविधि हमारी सनातनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। दीपों की रोशनी और आतिशबाजी ने यह एहसास कराया कि बाबा महाकाल के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश नई दिशा में आगे बढ़ रहा है।
लाइट एंड साउंड शो से जीवंत हुई महाकाल की कथाएं
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महाकाल लोक में लाइट एंड साउंड शो का शुभारंभ किया, जिसमें शिवपुराण सहित कई दिव्य कथाओं का वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि इस शो के माध्यम से भक्तों को अपने अतीत और सांस्कृतिक धारा की जानकारी मिलेगी, जिससे हमारी भक्ति और गहराई पाएगी। इस पावन अवसर पर श्रीअन्न के लड्डुओं को महाकाल के प्रसाद में शामिल करने की भी घोषणा की गई, जो मां लक्ष्मी पूजन के दिन प्रारंभ हुआ — इसे मुख्यमंत्री ने सौभाग्यशाली क्षण बताया। इसके साथ ही महाकालेश्वर बैंड का शुभारंभ भी हुआ, जो बाबा महाकाल की सवारी और उत्सवों में अपनी स्वर लहरियों से भक्ति का माहौल बनाएगा।
श्रीअन्न प्रसाद से पोषण और परंपरा का संगम
महाकाल के प्रसाद में अब श्रीअन्न से बने लड्डू भक्तों को प्राप्त होंगे। ये लड्डू रागी, कोदो, कुटकी जैसे पौष्टिक अनाजों से बनाए जाएंगे, जिनमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों की भरपूर मात्रा होगी। इससे उपवास करने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी और जनजातीय क्षेत्रों में श्रीअन्न की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। यह पहल न केवल सेहत और स्वाद का संगम है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘स्थानीय से वैश्विक’ की दिशा में मध्यप्रदेश का सशक्त कदम भी है।


