मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महेश्वर में आयोजित कार्यक्रम में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी सुशासन की एक अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने न केवल होल्कर साम्राज्य बल्कि सम्पूर्ण भारत में धर्म, न्याय और लोककल्याण को प्राथमिकता दी। मुगल काल में जब सनातन संस्कृति पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, तब अहिल्याबाई ने सोमनाथ और काशी विश्वनाथ जैसे पवित्र ज्योतिर्लिंगों की पुनर्स्थापना कर धर्म और आस्था की रक्षा का कार्य किया। उन्होंने नर्मदा नदी के घाटों का निर्माण कराकर सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत किया।
जनकल्याणकारी शासन और महिला सशक्तिकरण की अग्रदूत
अहिल्याबाई न केवल एक कुशल प्रशासक थीं, बल्कि उन्होंने आर्थिक विकास और महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दिया। महेश्वरी साड़ियों का निर्माण उनके दूरदर्शी सोच का उदाहरण है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला। किसानों की सहायता, गरीबों के कल्याण, व्यापार को प्रोत्साहन और समाज में न्याय की स्थापना जैसे कार्यों ने उनके शासन को स्वर्णिम बना दिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उनके सुशासन के आदर्श आज भी प्रेरणा देते हैं और यह पुस्तक नई पीढ़ी को उनके महान कार्यों से अवगत कराएगी।
महेश्वर में सुशासन और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने माता अहिल्याबाई होल्कर के सुशासन से प्रेरणा लेते हुए महेश्वर को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने पहली बार दशहरा महेश्वर में मनाया और ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए केबिनेट की बैठक भी यहीं आयोजित की। इसके साथ ही, प्रदेश की सशस्त्र वाहिनी क्रमांक 01 को माता अहिल्या के नाम से समर्पित कर, उनकी विरासत को सम्मान देने का कार्य किया गया। मुख्यमंत्री ने महेश्वर में देवी अहिल्या की जीवनगाथा पर आधारित नाटक मंचन की सराहना की और इसे समाज के लिए प्रेरणादायक बताया।

अहिल्याबाई: राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि अहिल्याबाई का जीवन केवल एक राजवंश की गाथा नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा है। उनकी 300वीं जन्म जयंती के अवसर पर महेश्वर में नाटक मंचन एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे आमजन को उनकी नीति, धर्मपरायणता और समाजसेवा के आदर्शों से सीखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने देवी अहिल्या को रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती और रानी चैनम्मा जैसी वीरांगनाओं की श्रेणी में रखते हुए कहा कि इन महान नारियों ने भारतीय संस्कृति और राष्ट्र को मजबूती प्रदान की।
महेश्वर में समृद्ध परंपरा और जनभागीदारी
इस भव्य आयोजन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर, मध्यप्रदेश के संस्कृति एवं धार्मिक न्यास मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी, होल्कर स्टेट के युवराज यशवंत राव होल्कर समेत कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। विश्व मांगल्य सभा की अध्यक्ष रेखा खंडेलवाल और राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. वृषाली जोशी ने कार्यक्रम की सफलता में अहम भूमिका निभाई। सांसद, विधायक, अधिकारी और बड़ी संख्या में आमजन की उपस्थिति ने यह सिद्ध किया कि महेश्वर की ऐतिहासिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने की दिशा में समाज की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।



