सीएम मोहन यादव ने नदियों के दोनों ओर 5 किमी क्षेत्र में पौधारोपण बढ़ाने और नगर वनों के विकास-रखरखाव के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश के कई वनांचल क्षेत्रों को स्थानीय समुदाय सांस्कृतिक और धार्मिक आस्थाओं के आधार पर संरक्षित करते हैं। ये स्थल आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ जैवविविधता संरक्षण, पारिस्थितिकी संतुलन और सांस्कृतिक विरासत बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने ऐसे स्थलों को देवलोक वन के रूप में विकसित करने की जरूरत बताई।
पौधारोपण और नदी संरक्षण
सीएम ने प्रमुख नदियों के दोनों ओर 5 किलोमीटर क्षेत्र में पौधारोपण बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने औषधीय और उपयोगी पौधों के रोपण को प्राथमिकता देने, अतिक्रमण हटाने में स्थानीय सहयोग लेने और नगर वनों के रखरखाव पर जोर दिया। साथ ही कहा कि इंदौर-उज्जैन-देवास मेट्रोपोलिटन एरिया के विकास के साथ क्षिप्रा नदी संरक्षण की योजना भी बनाई जाए।
जल संरचनाओं में इकोसिस्टम संतुलन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुए जैसे जलीय जीव नदियों और जल संरचनाओं के स्वस्थ इकोसिस्टम के लिए बेहद जरूरी हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि जहां इनकी संख्या अधिक है, वहां से इन्हें अन्य नदियों और जल संरचनाओं में शिफ्ट किया जाए, जिसकी शुरुआत नर्मदा और तवा नदी से होगी। बैठक में वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने, लघु वन उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और तेंदूपत्ता बोनस वितरण पर भी चर्चा हुई।


