सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की छठवीं बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में बौद्ध सर्किट विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। भगवान बुद्ध से जुड़े जिन ऐतिहासिक स्थलों का मध्य प्रदेश में प्रभाव रहा है, उन्हें एकीकृत करते हुए बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा। इनमें उज्जैन, सतधारा, सोनारी और सांची के आस-पास के क्षेत्र शामिल होंगे। इस दिशा में योजनाबद्ध प्रयास करने और आवश्यक संसाधनों का प्रावधान करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
भोपाल में होगा ISBS का रजत जयंती सम्मेलन, शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर भी जोर
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि नवंबर में भोपाल में ‘इंडियन सोसायटी फॉर बुद्धिस्ट स्टडीज’ (ISBS) का रजत जयंती सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जो बौद्ध अध्ययन और शोध को नई दिशा देगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि नई शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों को विश्वविद्यालय में प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। समत्व भवन में हुई इस बैठक में संस्कृति राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी वर्चुअली शामिल हुए, जबकि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, कुलगुरु और अन्य सदस्यगण भी बैठक में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के सतत विकास और बौद्ध अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

महाकात्यायन पर होगा गहन शोध, बौद्ध विरासत को मिलेगा नया आयाम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्य महाकात्यायन से संबंधित शोध कार्य प्रारंभ करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि महाकात्यायन ने उज्जैन से मथुरा तक बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया और तर्क व शास्त्रार्थ की कला में अद्वितीय माने जाते हैं। बोधि वृक्ष के नीचे उनकी ज्ञान प्राप्ति की प्रेरक कथा आज भी धैर्य, ज्ञान और आत्म-अनुशासन का आदर्श प्रस्तुत करती है। मुख्यमंत्री ने परिषद सदस्यों के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए शोध गतिविधियों को दिशा देने का आश्वासन दिया।
भोपाल में नवंबर में होगा ISBS का रजत जयंती सम्मेलन
बैठक में जानकारी दी गई कि ‘इंडियन सोसायटी फॉर बुद्धिस्ट स्टडीज’ (ISBS) का रजत जयंती सम्मेलन नवंबर में भोपाल में आयोजित किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सम्मेलन की तैयारी को प्राथमिकता देते हुए सभी आवश्यक प्रबंध समय रहते पूर्ण करने के निर्देश दिए। विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने अकादमिक गतिविधियों की जानकारी दी, जिसमें छात्रावास का निर्माण पूर्ण होने और अकादमिक, प्रशासनिक व पुस्तकालय भवनों के कार्य अंतिम चरण में होने की जानकारी शामिल थी। यह सम्मेलन न केवल शोध को गति देगा, बल्कि मध्य प्रदेश को बौद्ध अध्ययन के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।



