भारत सरकार ने संसद में बताया कि चीन ने लद्दाख के नजदीक दो नए काउंटी (कस्बे) बनाए हैं, जिनका कुछ हिस्सा भारतीय क्षेत्र में आता है। इस अवैध कब्जे पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने स्पष्ट किया कि चीन के इस कदम को भारत किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा। भारत ने स्पष्ट किया है कि इन काउंटियों के निर्माण से न तो भारत के क्षेत्रीय दावे पर असर पड़ेगा और न ही चीन के इस अवैध कब्जे को कोई वैधता मिलेगी।
सीमा पर चीन की गतिविधियों पर भारत सतर्क
सरकार ने यह भी बताया कि चीन लगातार सीमा के नजदीक बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रहा है। भारत इस स्थिति पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए है। सरकार ने कहा कि वह भी अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रही है, ताकि वहां के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मिलें और सामरिक जरूरतों को भी पूरा किया जा सके।

भारत का स्पष्ट संदेश: अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं
भारत ने साफ कर दिया है कि चीन की ये हरकतें न तो उसकी विस्तारवादी नीति को मजबूत कर पाएंगी और न ही भारत अपने भूभाग को लेकर कोई समझौता करेगा। चीन की ओर से दिसंबर में घोषित इन दो काउंटियों—हेआन और हेकांग—पर भारत पहले ही विरोध जता चुका है। साथ ही, ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रस्तावित डैम को लेकर भी भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था।
सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में भारत का फोकस
विदेश राज्य मंत्री ने संसद में बताया कि पिछले दशक (2014-2024) में सीमावर्ती इलाकों में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। इस अवधि में सीमा सड़क संगठन (BRO) का खर्च पहले के मुकाबले तीन गुना बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप सड़कों, पुलों और सुरंगों के नेटवर्क में काफी इजाफा हुआ है। इससे न केवल स्थानीय आबादी को बेहतर कनेक्टिविटी मिली है, बल्कि सैनिकों को रसद और आवश्यक सुविधाएं पहुंचाने में भी सहूलियत हुई है। मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि सरकार भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और सुरक्षा से जुड़े हर घटनाक्रम पर सतर्क नजर रखती है।



