छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड में SP अजय पांडे ने बताया कि BMO की रिपोर्ट पर 105 BNS, 276 BNS और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 27(ए) के तहत केस दर्ज किया गया है।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया में जहरीले कफ सिरप पीने से 10 मासूम बच्चों की मौत के बाद बड़ा एक्शन लिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। उन पर शिशुओं के उपचार में लापरवाही बरतने का आरोप है। निलंबन के बाद उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं, क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर में अटैच किया गया है।
FIR दर्ज, कंपनी भी आरोपी
इस मामले में SP अजय पांडे ने जानकारी दी कि BMO की रिपोर्ट के आधार पर 105 BNS, 276 BNS और 27(ए) ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। सबसे ज्यादा बच्चों का इलाज डॉ. सोनी ने किया था और उन्होंने ही कोल्ड्रिफ दवा लिखी थी, इसी वजह से उन्हें आरोपी बनाया गया। वहीं, तमिलनाडु की श्रेसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी को भी मुख्य आरोपी बनाया गया है। फिलहाल डॉक्टर पुलिस हिरासत में है।
प्रवीन सोनी हिरासत में
छिंदवाड़ा के परासिया में जहरीले कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए डॉ. प्रवीन सोनी को राजपाल चौक से हिरासत में ले लिया। बताया जा रहा है कि सरकारी अस्पताल में पदस्थ होने के बावजूद वे अपने निजी क्लीनिक में मरीजों को वही कफ सिरप प्रिस्क्राइब कर रहे थे। प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ कि इस सिरप में खतरनाक केमिकल मिला हुआ था, जिसके सेवन से बच्चों को गंभीर रिएक्शन हुए और इलाज के दौरान उनकी जान चली गई।
डायएथिलीन ग्लाइकोल का जहर
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा मानक से कई गुना ज्यादा पाई गई। जहां सामान्य रूप से इसकी सीमा 0.10 प्रतिशत होनी चाहिए, वहीं इसमें 48 प्रतिशत तक की मात्रा मिली, जो लगभग 480 गुना अधिक है। यह एक विषैला पदार्थ है और अधिक सेवन से शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसी कारण सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है।


