मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गुरुवार को कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की राज्य सरकार के साथ महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में राज्य की वित्तीय स्थिति, बजट आवंटन, और विभिन्न विकास योजनाओं पर चर्चा की गई। बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी।
फ्रीबीज पर सवाल, वित्त आयोग का जवाब
पत्रकार वार्ता के दौरान जब अरविंद पनगढ़िया से फ्रीबीज (मुफ्त योजनाओं) को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, जब यह पूछा गया कि अधिकांश राज्य सरकारें फ्रीबीज स्कीम को लगातार बढ़ावा दे रही हैं, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर अभी तक आयोग में कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है।
आयोग की अंतिम राय का इंतजार
अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि जब तक आयोग के सभी सदस्यों की टीम इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं लेती, तब तक इस पर कोई ठोस बयान देना उचित नहीं होगा। उन्होंने संकेत दिया कि वित्त आयोग राज्यों की वित्तीय स्थिरता और विकास योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, और किसी भी नीति पर निर्णय सामूहिक चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।

कृषि और उद्योग क्षेत्र में मध्यप्रदेश की बड़ी छलांग
वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने बताया कि मध्यप्रदेश उन राज्यों में शामिल है, जहां पिछले 15 वर्षों में कृषि और अन्य सेक्टरों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए आंकड़ों और प्रजेंटेशन से यह साफ होता है कि एमपी ने न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि की है, बल्कि उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में भी मजबूती से आगे बढ़ रहा है। आयोग ने राज्य के विकास मॉडल का आकलन किया है और ग्रांट से संबंधित कई अहम सुझाव मिले हैं।
आर्थिक विकास पर केंद्रित भविष्य की योजना
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पनगढ़िया ने बताया कि मध्यप्रदेश के आर्थिक विकास को और तेज गति देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। सरकार का फोकस इंडस्ट्रियल ग्रोथ पर है, जिसके तहत ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से बड़े निवेश को आकर्षित किया जाएगा। राज्य सरकार ने वर्टिकल डिवोल्यूशन को लेकर सिफारिशें दी हैं, जिनका आयोग ने गहन अध्ययन किया है। साथ ही, प्रदेश में सेस और सरचार्ज को संतुलित रखते हुए 10 प्रतिशत तक सीमित रखा गया है, जिससे वित्तीय स्थिरता बनी रहे।



