बांग्लादेशी प्रवासियों ने यूनुस पर पाकिस्तान समर्थक होने, देश को तालिबान जैसा बनाने और हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कराने का आरोप लगाया है।

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर शुक्रवार को बांग्लादेशी प्रवासियों ने मोहम्मद यूनुस के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें पाकिस्तानी करार देते हुए ‘यूनुस इज पाकिस्तानी’ और ‘गो बैक टू पाकिस्तान’ जैसे नारे लगाए। उनका कहना था कि यूनुस इस्लामवादी ताकतों के साथ मिलकर बांग्लादेश को ‘तालिबान जैसा देश’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद से अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं और मानवाधिकारों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और सत्ता हड़पने का आरोप
प्रवासियों ने कहा कि हसीना सरकार को गैरकानूनी तरीके से हटाकर यूनुस ने सत्ता हड़प ली। इसके बाद से हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हमले तेज हो गए हैं। उन्होंने हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की भी मांग की, जिन्हें यूनुस द्वारा अवैध रूप से जेल में कैद किए जाने का आरोप लगाया गया। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कहा कि हसीना की सरकार लोकतांत्रिक थी, लेकिन यूनुस की सत्ता आने के बाद देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों पर गहरा संकट खड़ा हो गया है।
तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यक बने निशाना
5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए। हसीना को देश छोड़ना पड़ा और पुलिस भी रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। इस अराजक माहौल में सबसे ज्यादा निशाना अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर हिंदू बने। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की हत्या हुई, महिलाओं से रेप और उत्पीड़न के 13 मामले सामने आए और 133 मंदिरों पर हमले किए गए।
UNGA में यूनुस का विकास का दावा
इसी बीच, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भाषण दिया। उन्होंने कहा कि अब देश विकास की यात्रा पर है और पिछले साल का जन-विद्रोह बांग्लादेश को नए रास्ते पर लेकर आया है। यूनुस ने प्रवासी मजदूरों के योगदान को रेखांकित किया, जो 2019 में करीब 18 अरब अमेरिकी डॉलर देश भेज चुके हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए SAARC को पुनर्जीवित करने की अपील भी की।


