गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंकवाद, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद जैसी समस्याएं पिछली सरकार से विरासत में मिली थीं। उन्होंने बताया कि 2014 में सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार ने इन मोर्चों पर ठोस रणनीति के साथ काम किया। जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं से होने वाली मौतों में 70% की कमी इसी का परिणाम है। शाह ने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर में कोई त्योहार ऐसा नहीं होता था जब आतंकी हमले न होते हों। लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में सुरक्षा व्यवस्था को सशक्त कर हालात में बड़ा बदलाव लाया गया।
370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदला माहौल
शाह ने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को जम्मू-कश्मीर के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि धारा 370 हटने के बाद वहां बदलाव की बयार बहने लगी है। पहले जहां सिनेमाहॉल तक नहीं खुलते थे, वहीं अब घाटी में जी-20 बैठक का सफल आयोजन हुआ। शाह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में एक भी गोली नहीं चली, जो इस क्षेत्र में शांति स्थापना का बड़ा संकेत है। उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग आंखें मूंदे बैठे हैं, उन्हें ये बदलाव दिखाई नहीं देंगे।
सर्जिकल स्ट्राइक से भारत ने दिखाया दम
गृह मंत्री ने उरी और पुलवामा हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकियों को घर में घुसकर मारा। उन्होंने बताया कि 10 दिन के भीतर ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक कर मुंहतोड़ जवाब दिया। शाह ने गर्व के साथ कहा कि इस तरह की जवाबी कार्रवाई करने वाले देशों में अब इजराइल और अमेरिका के साथ भारत का भी नाम जुड़ गया है। उन्होंने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत लाल चौक पर हुए बदलाव का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले जहां सेना की सुरक्षा में आनन-फानन में तिरंगा फहराया जाता था, आज हर घर में गर्व से तिरंगा लहराता है।

वामपंथी उग्रवाद पर शाह का सख्त रुख: 2026 तक समाप्ति का संकल्प
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में वामपंथी उग्रवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इसे राजनीतिक समस्या बताने वाली सोच पर उन्हें तरस आता है। उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 के बीच उग्रवादी घटनाएं चरम पर थीं, लेकिन 2014 के बाद केंद्र सरकार ने संवाद, सुरक्षा और समन्वय के सिद्धांत के आधार पर मजबूत कार्रवाई शुरू की। शाह ने कहा कि पहले नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जिसे घटाकर अब 12 कर दिया गया है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि 31 मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। शाह ने कहा कि पहले नक्सलियों ने पशुपति नाथ से तिरुपति तक कई थानों पर कब्जा कर समानांतर शासन और अपनी करेंसी तक चलाई थी, लेकिन केंद्र सरकार की कड़ी कार्रवाई से अब हालात बदल गए हैं।
आंकड़ों के जरिए कांग्रेस पर साधा निशाना
अमित शाह ने अपने संबोधन में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 साल बाद जब कोई गृह मंत्री आंकड़ों का हवाला देगा, तो वह बीजेपी सरकार के आंकड़ों को ही देखेगा। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले के कांग्रेस कार्यकाल की तुलना में मोदी सरकार के दौरान नक्सली हिंसा में भारी कमी आई है। शाह ने स्पष्ट किया कि पहले आतंकियों के मारे जाने पर बड़े जुलूस निकलते थे, लेकिन अब स्थिति यह है कि आतंकियों को घटनास्थल पर ही दफना दिया जाता है। उन्होंने इस बदलाव को केंद्र सरकार की सख्त नीति और जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का नतीजा बताया।



