
‘ए लॉन्ग वॉक टू हैप्पीनेस’ फिल्म एक ऐसे इंसान की कहानी है जो अकेलेपन में जीवन बीता रहा है। इस पात्र का नाम है अजय। कहानी का मुख्य पात्र अजय हमेशा रिश्तों के लिए तरसते हुए ही जीवन जी रहा है और हर बार अजय जीवन में अकेला ही रह जाता है। फिल्म की शुरुआत में दिखाया गया है कि अजय के जीवन का सबसे बड़ा सपना है कि उसका एक अपना परिवार हो और पांच-छह बच्चे हों, जिनके संग वह हसीं खुशी जीवन बिताना चाहता है। उसे अपने जीवन में खुशी और खुशहाली की तलाश है। फिल्म में उसके अतीत के बारे में दिखाए जाने पर एहसास होता है कि, उसका अतीत दुखों से भरा हुआ है खास करके उसका बचपन।अजय के माता पिता नहीं थे। अजय के पिता का एक दोस्त, अजय को गोद लेता है , जहां अजय को एक भयानक दौर से गुज़रना पड़ता है। अजय के अंदर के डर और उसके जीवन की तकलीफें, उसके अपने करिअर को लेकर सपने , उसके पारिवारिक और सामाजिक संबंध, और उसके त्याग को बेहद खूबसूरती से फिल्माया गया है।
उसके जीवन में तब एक नया मोड़ आता है जब उसके जीवन में माहा नाम की लड़की आती है। माहा यूरोप से लौटी हुई एक प्यारी और चुलबुली लड़की है। माहा के आने से उसे कैसे हिम्मत मिलती है, उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। माहा उसके जीवन को एक नई दिशा देती है। माहा अजय को वैसे ही अपनाती है जैसा वो है। वह दोनों एक दूजे को पाकर बहुत खुश होते हैं। वह एक दूजे को समझते हैं। अब अजय का परिवार और दुनिया, सब माहा ही है। उन दोनों का जीवन बहुत अच्छे से गुज़र रहा है ,पर अचानक एक दिन अजय के जीवन में एक हादसा होता है जिससे फिर से सब बदल जाता है। अजय के सब रिश्ते उससे मुंह मोड़ लेते हैं।
रिश्तों का तानाबाना इस फिल्म में देखने को मिलता है। अजय चाहे जीवन में दुख और तकलीफ देखता है, हमेशा उसके हालात खास करके बचपन के हालात बहुत भयानक होते हैं, फिर भी वह हिम्मत नहीं हारता। अजय को उसके बचपन की यादें हमेशा डराती रहतीं हैं। वह हर पल कोशिश करता है कि वह उन डरावने पलों को पीछे छोड़कर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करता रहे । वह फिल्म में लगातार हालातों से लड़ता हुआ दिखाया गया है। वह रिश्तों में विश्वास का महत्व जानता है। अजय न सिर्फ रिश्ते बनाना जानता है बल्कि उन्हें निभाना भी जानता है। फिल्म में सबसे बड़ा उदाहरण उसकी दोस्ती का मिलता है। ये दोस्ती भी फिल्म में देखने लायक है जो वो अंत तक निभाता है। अजय रिश्तों में सिर्फ देना जानता है पर फिर भी उसे खुशियों के लिए तरसना पड़ता है। इस फिल्म का शीर्षक भी बिल्कुल सही चुना गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि अजय को खुशियों के लिए तरसना पड़ता है। उसे खुशियों को पाने के लिए एक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। अंत में उसे खुशी मिलती है या नहीं, अगर आप ये जानने को उत्सुक हैं तो आप इस यात्रा को जरूर देखें, महसूस करने की कोशिश करें, समझने की कोशिश करें।


