मध्य प्रदेश मंत्रिपरिषद ने सड़कों के विस्तार के साथ आयातित तुअर पर मंडी शुल्क में पूर्ण छूट को मंजूरी दी, जिससे दाल की उपलब्धता, परिवहन और रोजगार में वृद्धि होगी।

मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में सुदूर बसाहटों—जैसे मजरा, टोला, धोनी और पुरा—में सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए ₹21,630 करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना को स्वीकृति दी गई। यह योजना दो चरणों में लागू की जाएगी: पहला चरण वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक, और दूसरा चरण 2030-31 से 2034-35 तक चलेगा। योजना के तहत कुल 30,900 किलोमीटर लंबाई के मार्गों का निर्माण किया जाएगा, जिसे राज्य निधि से क्रियान्वित किया जाएगा।
6,000 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र होंगे शामिल
इस योजना के अंतर्गत उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनकी आबादी 100 से अधिक हो, जहां न्यूनतम 20 आवास हों, क्षेत्रफल 6,000 वर्गमीटर से अधिक हो और 50 मीटर के दायरे में पहले से कोई बारहमासी सड़क मौजूद न हो। योजना की निगरानी और निर्णय प्रक्रिया के लिए मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की साधिकार समिति को अधिकृत किया गया है। इससे राज्य में दूर-दराज़ के क्षेत्रों का संपर्क सुदृढ़ होने के साथ-साथ परिवहन और रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोत्तरी होगी।
स्थानीय जरूरतों के अनुसार तय होगी बसाहटों की प्राथमिकता
योजना के क्रियान्वयन में स्थानीय आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। सांसद, विधायक और जिला पंचायत सदस्यों के परामर्श से ग्रामीणों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी ज़रूरतों के आधार पर कलेक्टर द्वारा बसाहटों की प्राथमिकता सूची में बदलाव किया जा सकेगा। अंतिम सूची राज्य स्तर पर प्रकाशित की जाएगी। योजना के तहत लगभग 20,600 बसाहटों को मुख्य मार्गों से जोड़ते हुए करीब 30,900 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जिससे सुदूर क्षेत्रों में संपर्क बेहतर होगा।
तुअर पर छूट और महिला हॉस्टलों को मंजूरी
कैबिनेट बैठक में तुअर दाल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बाहर से आयातित तुअर पर मंडी शुल्क से पूर्ण छूट देने का निर्णय लिया गया। इससे न केवल दाल उद्योग को राहत मिलेगी, बल्कि परिवहन और रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही झाबुआ, सिंगरौली, देवास और नर्मदापुरम में कामकाजी महिलाओं के लिए 350 सीट्स की क्षमता वाले 4 वर्किंग वूमन हॉस्टलों के निर्माण को भी सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। 40.59 करोड़ रुपये की यह योजना पीपीपी मॉडल के तहत संचालित होगी।


