बजट 2025 के तहत 1 अप्रैल से नया टैक्स स्लैब लागू हो जाएगा, जिससे नौकरीपेशा और मध्यमवर्गीय लोगों को राहत मिलेगी। नई कर व्यवस्था के अनुसार, अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपये तक हो जाएगी। इसके अलावा, 20 से 24 लाख रुपये की आय पर 25% की नई टैक्स दर लागू होगी, जिससे पहले की तुलना में करदाताओं को कम टैक्स देना होगा। पहले 15 लाख से अधिक आय पर 30% टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब यह सीमा 24 लाख रुपये तक बढ़ा दी गई है। इससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत का फायदा मिलेगा।
TDS छूट की सीमा बढ़ी, किरायेदारों और वरिष्ठ नागरिकों को राहत
सरकार ने TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) की सीमा बढ़ाकर करदाताओं को राहत दी है। अब किराए की आय पर TDS छूट को ₹2.4 लाख से बढ़ाकर ₹6 लाख कर दिया गया है, जिससे छोटे मकान मालिकों को फायदा होगा। इसी तरह, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक FD से मिलने वाली ब्याज आय पर TDS की सीमा ₹50 हजार से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दी गई है। प्रोफेशनल सेवाओं पर भी TDS की सीमा ₹30 हजार से बढ़ाकर ₹50 हजार कर दी गई है। इससे कम आय वालों पर टैक्स का बोझ कम होगा और नकदी प्रवाह बेहतर होगा।

विदेश में पढ़ाई के लिए राहत, TCS सीमा बढ़ी
अब विदेश में पढ़ाई के लिए पैसा भेजने पर टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। पहले यह सीमा 7 लाख रुपये थी, जिसके बाद अतिरिक्त राशि पर 0.5% से 5% तक का TCS कटता था। इसके अलावा, अगर पैसा किसी फाइनेंशियल ऑर्गनाइजेशन जैसे बैंक लोन के जरिए भेजा जाता है, तो उस पर कोई TCS नहीं लगेगा। इस बदलाव से उन छात्रों और उनके परिवारों को सीधा फायदा मिलेगा, जो विदेश में उच्च शिक्षा के लिए फंड ट्रांसफर करते हैं। अब ट्रांसफर प्रोसेस आसान हो जाएगा और अतिरिक्त टैक्स का बोझ कम होगा।
कस्टम ड्यूटी में बदलाव, कुछ चीजें होंगी सस्ती तो कुछ महंगी
सरकार ने बजट 2025 में 150-200 प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव किए हैं, जिससे कुछ चीजें सस्ती तो कुछ महंगी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, 40,000 डॉलर से अधिक कीमत वाली लग्जरी कारें, 1600cc से कम इंजन वाली मोटरसाइकिलें और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) सस्ते हो सकते हैं, क्योंकि इन पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई है। वहीं, स्मार्ट मीटर, आयातित जूते, PVC फ्लेक्स शीट्स और LED/LCD टीवी महंगे हो सकते हैं, क्योंकि इन पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई है। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा और आयातित प्रोडक्ट्स की कीमतों में बदलाव देखने को मिलेगा।



