छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रविवार को 50 नक्सलियों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में नक्सल बटालियन नंबर 1 के सदस्य, जनताना सरकार अध्यक्ष, मिलिशिया कमांडर, डिप्टी कमांडर, प्लाटून सदस्य और अन्य मिलिशिया सदस्य शामिल हैं। शासन की पुनर्वास एवं आत्मसमर्पण नीति के साथ ही ‘नियद नेल्ला नार योजना’ से प्रभावित होकर इन नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का निर्णय लिया।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस आत्मसमर्पण पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी पूर्व नक्सलियों का मुख्यधारा में स्वागत किया। उन्होंने इसे सरकार की नक्सल उन्मूलन रणनीति की बड़ी सफलता करार दिया। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास योजना के तहत लाभ दिया जाएगा, जिससे वे समाज में एक नया जीवन शुरू कर सकें। बीजापुर में यह आत्मसमर्पण अभियान सरकार और सुरक्षा बलों की संयुक्त रणनीति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

आंतरिक मतभेद बना नक्सलियों के आत्मसमर्पण की बड़ी वजह
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आत्मसमर्पण करने वाले 50 नक्सलियों ने अतीत में कई संगीन वारदातों को अंजाम दिया था। पुलिस के अनुसार, नक्सल संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद और शासन की पुनर्वास नीति के प्रति बढ़ता विश्वास इस आत्मसमर्पण के प्रमुख कारण बने। समर्पित नक्सलियों में बटालियन नंबर 1 के सदस्य, कंपनी नंबर 2 और 7 के सदस्य, कुतुल और नेशनल पार्क एरिया कमेटी के सदस्य, जनताना सरकार के पदाधिकारी और केएएमएस अध्यक्ष शामिल हैं। इनके खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज थे, और इनमें से 13 नक्सलियों पर कुल 68 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
प्रमुख इनामी नक्सली जो हुए आत्मसमर्पण
इस आत्मसमर्पण में आठ लाख के इनामी नक्सली रविन्द्र कारम, रोनी परसिक, राकेश कड़ती, कोपे लेकाम, शांति ताती और सोनू हेमला शामिल हैं। इनके अलावा, पांच लाख के इनामी भीमा ओयाम, पायकी हपका और सोनू ताती ने भी हथियार डाल दिए हैं। वहीं, एक लाख के इनामी पोज्जा ताती, नानी माड़वी, बुधराम पदम, पायकी पोटाम, आयतू पोटाम समेत कई अन्य नक्सलियों ने भी आत्मसमर्पण किया है। सरकार के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत इन सभी को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिससे वे एक नए जीवन की शुरुआत कर सकें।



