प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 11 साल के कार्यकाल में पहली बार डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर जाने वाले हैं। यह दौरा सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं बल्कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गहरे संबंधों को और मजबूती देने का संकेत भी है। प्रधानमंत्री मोदी कई बार कह चुके हैं कि संघ ने उन्हें राष्ट्रसेवा की प्रेरणा दी है, और अब 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में सरकार संघ की नीतियों को भी प्राथमिकता देगी।
हिंदुत्व और सामाजिक न्याय का संतुलन
इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी हिंदुत्व और सामाजिक न्याय के प्रतीकों को नमन करेंगे, जिससे एक व्यापक संदेश जाएगा। संघ लंबे समय से ‘एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान’ के सामाजिक समरसता एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है, जिससे समाज में जातिगत भेदभाव को समाप्त किया जा सके। इस दौरे को हिंदुत्व की एकता और सामाजिक समरसता को मजबूत करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।

संघ के 100 वर्षों की ओर बड़े कदम
वर्ष 2025 में RSS के 100 साल पूरे हो रहे हैं, और इस मौके पर कई सेवा परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है। नागपुर में विश्वस्तरीय माधव नेत्रालय की आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी रखेंगे, जिससे संघ के सेवा कार्यों की वैश्विक पहचान बढ़ेगी। इसके अलावा, भाजपा आने वाले समय में समान नागरिक संहिता, वन नेशन-वन इलेक्शन और जनसांख्यिकी संतुलन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर संघ के साथ मिलकर और तेजी से कार्य करेगी।
संघ और भाजपा के संबंधों को नई मजबूती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हेडगेवार स्मृति मंदिर दौरा केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि RSS और भाजपा के बीच की मजबूती को नए सिरे से स्थापित करने का भी संकेत है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बहुमत से चूकने के बाद दोनों संगठनों के बीच मतभेद की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन इस यात्रा के जरिए पीएम मोदी यह संदेश देंगे कि संघ और भाजपा एक साथ देश के भविष्य के निर्माण में जुटे हैं। इसके अलावा, हिंदुत्व और सामाजिक समरसता को एक ही सूत्र में पिरोने की संघ की योजना को भी मोदी सरकार के समर्थन की पुष्टि मिलेगी।
हिंदुत्व और सामाजिक न्याय के संतुलन का प्रतीक दौरा
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल हिंदुत्व के प्रतीक डॉ. हेडगेवार को नमन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वह इसके तुरंत बाद नागपुर की दीक्षाभूमि जाकर डॉ. भीमराव आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि देंगे। यह कदम हिंदुत्व और सामाजिक न्याय के संतुलन को स्थापित करने की उनकी नीति को दर्शाता है। संघ और भाजपा लंबे समय से ‘एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान’ जैसी सामाजिक समरसता की सोच को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, और इस यात्रा के जरिए मोदी इस एजेंडे को और धार देंगे।



