दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के तुगलक क्रिसेंट स्थित आवास पर मंगलवार दोपहर एक विशेष जांच टीम पहुंची। यह टीम भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा गठित तीन सदस्यीय इन-हाउस पैनल का हिस्सा थी। जांच दल में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थीं। जांच दल ने आवास के उस स्टोर रूम का निरीक्षण किया, जहां ₹500 के नोटों से भरी अधजली बोरियां मिली थीं।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का ट्रांसफर प्रस्ताव
इससे पहले 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके पैरेंट कोर्ट (इलाहाबाद हाईकोर्ट) में वापस भेजने का प्रस्ताव जारी किया था। कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च को हुई बैठकों में यह निर्णय लिया। इस फैसले के बाद जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 मार्च को ही कार्यभार वापस ले लिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का विरोध और कार्रवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर के फैसले का विरोध करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है। 23 मार्च को बार एसोसिएशन की जनरल हाउस मीटिंग में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने और इस मामले की जांच ED और CBI से कराने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव की एक प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई है।
कैश कांड का खुलासा और जांच की शुरुआत
14 मार्च की रात जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद बड़ा खुलासा हुआ। उनके स्टोर रूम जैसे कमरे में ₹500 के जले हुए नोटों से भरी बोरियां मिलीं, जिससे यह मामला चर्चा में आ गया। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाते हुए न्यायिक जवाबदेही का सवाल खड़ा किया। इसके बाद 22 मार्च को CJI संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जस्टिस वर्मा को कोई भी कार्य न सौंपने का निर्देश दिया।
आगे की कार्रवाई और संभावित परिणाम
जांच के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक वीडियो जारी किया जिसमें जले हुए नोटों से भरी बोरियां दिखाई गईं। इस मामले के सामने आने के बाद से जस्टिस वर्मा छुट्टी पर हैं। अगर जांच समिति आरोपों को सही पाती है, तो CJI संजीव खन्ना जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की सलाह दे सकते हैं। यदि वे इस सलाह को नहीं मानते, तो दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को उन्हें कार्य न सौंपने का निर्देश दिया जाएगा। इसके बाद CJI संजीव खन्ना राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को समिति की रिपोर्ट सौंप सकते हैं, जिसके आधार पर जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की कार्यवाही शुरू की जा सकेगी।



