बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन पूरे हो चुके हैं, लेकिन महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर घमासान जारी है। राजद, कांग्रेस और वीआइपी के बीच कई सीटों पर विवाद बना हुआ है।

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन खत्म होने के बावजूद महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। कांग्रेस, राजद और अन्य सहयोगी दलों के बीच खींचतान जारी है। हर दल ज्यादा सीटें चाहता है, जिससे बातचीत अटक गई है। यह असहमति गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रही है और अगर विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो इसका नुकसान चुनाव नतीजों में दिख सकता है।
राजद-कांग्रेस में बढ़ी तनातनी
कांग्रेस राहुल गांधी की वोट चोरी यात्रा के बाद अपनी ताकत बढ़ने का दावा करते हुए ज्यादा सीटों की मांग पर अड़ी है, जबकि राजद 2020 के प्रदर्शन का हवाला देकर झुकने को तैयार नहीं। नतीजा यह है कि पहले चरण के बाद भी महागठबंधन एकजुट होकर मंच पर नहीं आ सका। भले ही दोनों दल सुलह के दावे कर रहे हों, लेकिन अंदरूनी खींचतान से साफ है कि विरोधियों से पहले उन्हें आपसी मतभेद सुलझाने होंगे।
महागठबंधन में सीटों पर घमासान जारी
बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा है। लालगंज, बछवाड़ा, कहलगांव और सिकंदरा जैसी कई सीटों पर कांग्रेस और राजद के बीच सीधा टकराव देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने जहां अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, वहीं राजद ने उन्हीं सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए। इससे साफ है कि महागठबंधन में तालमेल की कमी और अंदरूनी मतभेद गहराते जा रहे हैं।
मुकेश सहनी का रूठना बना सिरदर्द
वहीं वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी की नाराजगी भी महागठबंधन के लिए नई मुश्किल बन गई है। तेजस्वी यादव के रवैये से सहनी खफा हैं और उपमुख्यमंत्री पद की मांग पर अड़े हुए हैं। राहुल गांधी के आश्वासन के बावजूद स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। ऐसे में महागठबंधन की यह अंदरूनी खींचतान एनडीए के लिए राहत की खबर बन गई है, जो पहले ही अपना प्रचार अभियान तेज कर चुका है।


