अमेरिकी सीनेट में ट्रंप का फंडिंग बिल पास नहीं हो सका, 60 की जगह 55 वोट मिलने से आज से शटडाउन शुरू होकर सरकारी कामकाज ठप हो गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीनेट से फंडिंग बिल पास कराने में नाकाम रहे। बिल के समर्थन में 55 और विरोध में 45 वोट पड़े, जबकि पास होने के लिए 60 वोट जरूरी थे। डेमोक्रेट सांसदों ने बिल का विरोध किया, वहीं रिपब्लिकन पार्टी के एक सांसद ने भी खिलाफ वोट दिया। इसके चलते भारतीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे से अमेरिका में शटडाउन लागू हो गया, जिससे सरकारी कामकाज ठप होगा और करीब 9 लाख कर्मचारियों को जबरन छुट्टी पर भेजने का खतरा है।
हेल्थ केयर सब्सिडी पर अड़ा विवाद
डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टियों के बीच ओबामा हेल्थ केयर सब्सिडी प्रोग्राम को लेकर सहमति नहीं बन पाई। डेमोक्रेट्स सब्सिडी बढ़ाने की मांग कर रहे थे, जबकि रिपब्लिकन का तर्क था कि इससे सरकारी खर्च बढ़ जाएगा और अन्य योजनाओं पर असर पड़ेगा। इसी मुद्दे पर दोनों दलों में गतिरोध बढ़ा और फंडिंग बिल पास नहीं हो पाया। शटडाउन रोकने के लिए सोमवार को व्हाइट हाउस में बैठक भी हुई थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका।
अमेरिका का फिस्कल ईयर और शटडाउन का असर
अमेरिका का फिस्कल ईयर 1 अक्टूबर से शुरू होता है, जिसमें सरकार यह तय करती है कि रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में कितना खर्च करना है। यदि इस तारीख तक बजट पास नहीं होता, तो सरकारी कामकाज ठप हो जाता है। शटडाउन के दौरान सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रुक जाती है और कई विभागों का कामकाज बंद हो जाता है। हालांकि, मेडिकल, सीमा सुरक्षा और हवाई सेवाओं जैसी इमरजेंसी सर्विसेज जारी रहती हैं। पिछले 50 सालों में अमेरिका में 20 बार शटडाउन हो चुका है।
चर्चित शटडाउन और आर्थिक नुकसान
2019 का शटडाउन सबसे लंबा रहा, जो 35 दिन चला और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को करीब 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। 2013 में शटडाउन के दौरान कनाडा सीमा की देखभाल सिर्फ एक शख्स पर रह गई थी और विदेशों में अमेरिकी सैनिकों के कब्रिस्तानों को बंद करना पड़ा। वहीं, 2018 में कई सरकारी कर्मचारियों ने वेतन न मिलने के कारण एयरपोर्ट पर काम करना बंद कर दिया, जिससे उड़ानें रद्द हो गईं। यहां तक कि FBI डायरेक्टर ने चेतावनी दी थी कि बजट न मिलने से एजेंसी का कामकाज प्रभावित हो रहा


