अमेरिका ने कहा कि भारत चाहे किसी भी देश से तेल खरीदे, लेकिन रूस से आयात न करे, हमारा मकसद भारत को सज़ा देना नहीं बल्कि यूक्रेन युद्ध को खत्म कराना है।

अमेरिका के ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने भारत से आग्रह किया है कि वह रूस से कच्चे तेल का आयात करने पर पुनर्विचार करे। न्यूयॉर्क में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राइट ने कहा कि भारत किसी भी देश से तेल खरीद सकता है, लेकिन रूस से नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका भारत को सजा नहीं देना चाहता, बल्कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करना चाहता है और भारत के साथ मजबूत संबंध बनाना चाहता है। राइट ने यह भी बताया कि हाल ही में उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और भविष्य में ऊर्जा एवं व्यापार सहयोग को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई।
रूस का पलटवार और भारत की स्थिति
अगस्त में रूस ने कहा था कि उसके कच्चे तेल का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि यह सबसे सस्ता है। रूसी डिप्लोमेट रोमन बाबुश्किन के अनुसार भारत को रूसी तेल पर लगभग 5% की छूट मिल रही थी, जिससे उसे बड़ा आर्थिक लाभ हो रहा था। उन्होंने अमेरिका के दबाव को गलत बताया और कहा कि भारत अच्छी तरह समझता है कि तेल आपूर्ति बदलना आसान नहीं है। इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव भी देखा गया, क्योंकि अमेरिका ने रूस से तेल आयात को लेकर भारत पर 50% टैरिफ लगाया था।
भारत पर बढ़ा अमेरिकी टैरिफ का दबाव
अगस्त 2025 में ट्रम्प प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इससे पहले अमेरिका ने 25% रेसीप्रोकल टैरिफ लगाया था। इस तरह भारत पर कुल मिलाकर 50% का बोझ बढ़ गया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब भारत लगातार रूस से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा रहा था और अमेरिका इस पर नाराज़गी जता रहा था।
रूसी तेल से कंपनियों को भारी मुनाफा
भारत ने वित्त वर्ष 2020 में अपनी ज़रूरत का केवल 1.7% तेल रूस से खरीदा था, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 35.1% तक पहुंच गया। सस्ता रूसी तेल भारतीय ऑयल कंपनियों के लिए वरदान साबित हुआ। 2022-23 में इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम का कुल मुनाफा 3,400 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 में 25 गुना बढ़कर 86,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हालांकि 2024-25 में यह घटकर 33,602 करोड़ रुपये रह गया, फिर भी यह 2022-23 के मुकाबले कहीं ज्यादा है।


