उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज NDA अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर सकता है; भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक शाम 6 बजे होगी, नामांकन 21 अगस्त को संभावित है।

NDA आज उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर सकता है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, भाजपा संसदीय बोर्ड की अहम बैठक आज शाम 6 बजे होगी, जिसमें उम्मीदवार के नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी। संभावित उम्मीदवार 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करेगा। नामांकन के समय NDA शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे, जिससे चुनाव के लिए व्यापक समर्थन का प्रदर्शन किया जा सके।
विपक्ष में भी हलचल, 18 अगस्त को बैठक संभव
उधर, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. भी उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सक्रिय है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अन्य सहयोगी दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं और 18 अगस्त को एक बैठक कर विपक्षी उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जा सकती है। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान और मतगणना 9 सितंबर को होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है, जबकि 25 अगस्त तक उम्मीदवारी वापस ली जा सकती है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 2027 तक था।
NDA को सदनों में मजबूत बहुमत
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की स्थिति मजबूत नजर आ रही है। लोकसभा में 542 में से 293 सांसद NDA के पास हैं, जबकि INDIA गठबंधन के पास 234 सदस्य हैं। राज्यसभा में NDA को करीब 130 और INDIA को 79 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। इस प्रकार कुल मिलाकर NDA के पास 423 सांसदों का समर्थन है, जो बहुमत से काफी अधिक है। INDIA ब्लॉक के पास कुल 313 सांसद हैं। शेष सांसद किसी भी खेमे से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं। इस गणित को देखते हुए उपराष्ट्रपति पद पर NDA उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है।
थावरचंद गहलोत हो सकते हैं NDA के चेहरे
भाजपा उपराष्ट्रपति पद के लिए एक अनुभवी और विचारधारा के प्रति समर्पित नेता को मैदान में उतार सकती है। सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वे दलित समुदाय से आते हैं और मध्य प्रदेश से हैं, जिससे जातीय और क्षेत्रीय संतुलन भी साधा जा सकता है। 77 वर्षीय गहलोत राज्यसभा में सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं तथा भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। उनके पास व्यापक संसदीय और प्रशासनिक अनुभव है, जो इस संवैधानिक पद के लिए उन्हें उपयुक्त बनाता है। सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का नाम भी चर्चा में है।


