धराली त्रासदी में 650 लोगों का रेस्क्यू, मलबे में दबे लोगों की तलाश एडवांस रडार से शुरू।

उत्तराखंड के धराली गांव में आई आपदा के बाद फंसे लोगों को निकालने के पहले फेज का काम लगभग पूरा हो गया है। हर्षिल घाटी में फंसे 650 से अधिक पर्यटकों और गंगोत्री गए श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाल लिया गया है। अब सेना और NDRF की टीम मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटी है। इसके लिए सेना एडवांस पेनिट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल कर रही है, जिससे बिना खुदाई किए जमीन के नीचे दबे लोगों का पता लगाया जा सकता है।
रडार से मिलेगी मलबे में दबे लोगों की लोकेशन
पेनिट्रेटिंग रडार जमीन के नीचे हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो तरंग भेजकर मिट्टी, पत्थर, धातु और हड्डियों को अलग-अलग रंगों में दिखाता है। इसके जरिए 20-30 फीट गहराई तक फंसे लोगों या शवों की पहचान संभव है। 5 अगस्त को बादल फटने से खीर गंगा नदी में आई बाढ़ और तेज रफ्तार मलबे ने 34 सेकेंड में धराली गांव को तबाह कर दिया था। अब तक 5 मौतों की पुष्टि हुई है, 70 लोग रेस्क्यू हुए हैं, जबकि 100 से 150 लोग अब भी लापता हैं।
धराली में इंटरनेट सेवा बहाल
धराली आपदा के तीन दिन बाद प्रभावित इलाकों में मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी बहाल हो गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि एयरटेल सेवा शुरू हो चुकी है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आएगी। हालांकि धराली, हर्षिल और उत्तरकाशी के बीच सड़कों का नुकसान अब भी बरकरार है और बिजली उपलब्ध नहीं है। गंगनानी के पास लिंचा गाड़ में बेली ब्रिज का निर्माण शुरू हो गया है, जो दो दिन में तैयार होगा। इस बीच, ISRO ने Cartosat-2S सैटेलाइट से त्रासदी से पहले और बाद की तस्वीरें जारी कीं, जिनसे रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद मिली। जांच में सामने आया कि बाढ़ से नदियां चौड़ी हो गईं, उनका रास्ता बदला, कई इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं और नदी किनारों पर कीचड़ जम गया।
हाईटेक मशीनों की कमी से मलबा हटाने में देरी
धराली के 80 एकड़ इलाके में 20 से 50 फीट तक मलबा फैला हुआ है, जिसे हटाने के लिए इस समय केवल 3 जेसीबी मशीनें लगी हैं। मलबे में दबे लोगों की खोज के लिए जरूरी हाईटेक थर्मल सेंसिंग उपकरण और बड़ी मशीनें 60 किमी दूर भटवाड़ी में फंसी हुई हैं, क्योंकि सड़कें बंद हैं। हर्षिल से धराली की 3 किमी सड़क चार जगहों पर पूरी तरह खत्म हो गई है, जबकि भटवाड़ी से हर्षिल के बीच तीन जगह लैंडस्लाइड और एक पुल के टूटने से रास्ता बाधित है। प्रशासन का अनुमान है कि सड़क खोलने और मशीनें मौके तक पहुंचाने में 2-3 दिन और लग सकते हैं।


