जले नोटों के कैश कांड में फंसे जस्टिस वर्मा को CJI की जांच कमेटी ने दोषी ठहराया, अब संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश।

सुप्रीम कोर्ट के जज यशवंत वर्मा को लेकर संसद में बड़ा कदम उठाया गया है। 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में कुल 215 सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस पीठासीन अधिकारियों को सौंपा। इनमें लोकसभा के 152 और राज्यसभा के 63 सांसद शामिल हैं। जस्टिस वर्मा के खिलाफ यह कार्रवाई कैश कांड में उनके कथित संलिप्तता के बाद की गई, जिसमें उनके आवास से जले हुए नोटों के ढेर मिलने का मामला सामने आया था।
सत्तापक्ष और विपक्ष में अभूतपूर्व एकता
महाभियोग प्रस्ताव को भाजपा, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, सीपीएम समेत कई दलों का समर्थन मिला है। साइन करने वालों में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, सुप्रिया सुले और पीपी चौधरी जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने खुद सदन को इस प्रस्ताव की जानकारी दी। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार है जब किसी कार्यरत हाईकोर्ट जज के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है, जिससे न्यायपालिका में जवाबदेही को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।
जस्टिस वर्मा के घर लगी आग ने खोला कैश कांड का राज
14 मार्च की रात दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में आग लगने की घटना ने पूरे न्याय तंत्र को हिला कर रख दिया। अग्निशमन विभाग ने आग पर काबू पाया, लेकिन उसके बाद सामने आए वीडियो फुटेज में उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों से भरे बोरे नजर आए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि घर से करीब 15 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए, जिनमें से अधिकांश जल चुके थे। घटना के समय वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में जज थे, बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।
CJI कमेटी ने दोषी ठहराया
22 मार्च को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई। जांच कमेटी में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थे। इस पैनल ने 4 मई को CJI को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें जस्टिस वर्मा को दोषी पाया गया। इसके आधार पर 8 मई को CJI ने ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत सरकार से उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की थी, जिसके बाद अब संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है।


