मुख्यमंत्री मोहन यादव का बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर परिसर में पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। इस अवसर पर पूज्य स्वामीजी ने उन्हें मंदिर की ऐतिहासिकता, निर्माण प्रक्रिया और इसकी वैश्विक दृष्टि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मंदिर की शांतिपूर्ण और श्रद्धा से परिपूर्ण ऊर्जा ने मुख्यमंत्री को गहरे तक प्रभावित किया, और उन्होंने इसे एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव बताया।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अबू धाबी के बीएपीएस स्वामीनारायण हिन्दू मंदिर का दर्शन किया और उसे भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और विश्व बंधुत्व का अनूठा प्रतीक बताया। उन्होंने मंदिर की दिव्यता, स्थापत्य कला और सेवा की भावना से अभिभूत होकर इसे “सनातन संस्कृति की जीवंत अभिव्यक्ति” करार दिया। उनका मानना है कि यह मंदिर न केवल भारतीय परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है।
पारंपरिक स्वागत और मंदिर की ऐतिहासिकता पर चर्चा
सीएम मोहन यादव का मंदिर परिसर में पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया, जहां पूज्य स्वामीजी ने उन्हें मंदिर की ऐतिहासिकता, निर्माण प्रक्रिया और इसकी वैश्विक दृष्टि के बारे में विस्तार से बताया। मंदिर की शांतिपूर्ण और श्रद्धा से परिपूर्ण ऊर्जा ने मुख्यमंत्री को गहरे तक प्रभावित किया, और उन्होंने इसे एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव बताया।
मंदिर की विशेषताएं और निर्माण
अबू धाबी का स्वामीनारायण मंदिर 27 एकड़ भूमि पर स्थित है, जिसका उद्घाटन 14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इस मंदिर के निर्माण में लोहे या स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है। इसके निर्माण में भारत और अन्य देशों से लाए गए संगमरमर और पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है, जिससे भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और भक्ति का प्रतीक है और दुनियाभर में भारतीय परंपराओं को फैलाने का अहम केंद्र बन चुका है।
जबलपुर की पवित्र मिट्टी और सनातन मूल्यों की प्रेरणा
मंदिर के दर्शन के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव को यह जानकर भावनात्मक रूप से जुड़ा अनुभव हुआ कि इस मंदिर में जबलपुर की पवित्र मिट्टी का भी प्रयोग किया गया है, जो कि महंत स्वामी महाराज के जन्म स्थान से है। मुख्यमंत्री ने इसे भारतीय माटी की वैश्विक पहचान का प्रतीक बताया। इसके अलावा, “सच्चे गुरु की सनातन भूमिका” पर आधारित प्रदर्शनी ने उन्हें निस्वार्थ सेवा, त्याग और समर्पण के मूल्य से प्रभावित किया। उन्होंने इसे समाज सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का मजबूत आधार बताया और बीएपीएस की संस्था द्वारा दुनिया भर में शांति, भक्ति और एकता फैलाने के प्रयासों की सराहना की।


