कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश की सड़कें अब विकास की नहीं, गड्ढों की पहचान बन चुकी हैं। राजधानी भोपाल से लेकर इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा तक हालात बदतर हैं — सड़कें नहीं, गड्ढों की कतारें बिछी हैं।
मानसून ने इन खोखले दावों की सच्चाई उजागर कर दी है। पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह का बयान जनता की पीड़ा पर मरहम नहीं, नमक छिड़कने जैसा है।

भ्रष्टाचार की बुनियाद पर टिकी सड़क व्यवस्था
सड़क निर्माण के नाम पर करोड़ों का बजट पास हुआ, लेकिन हालात बद से बदतर होते गए। एक ही सड़क पर बार-बार मरम्मत के नाम पर ठेकेदारों को भुगतान किया गया, लेकिन गुणवत्ता नदारद रही। RTI और विभागीय रिपोर्टें कहती हैं कि आधी से ज़्यादा सड़कें खराब या बेहद खराब हालत में हैं। इन हालातों के बीच सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक ज़मीन की हकीकत देखने के बजाय हेलीकॉप्टर से उद्घाटन कर रहे हैं। जनता की जान दांव पर है, लेकिन सरकार अब भी खामोश है।

टैक्स से गड्ढे, जिम्मेदार कौन?
जीतू पटवारी ने सीधा सवाल उठाया है — क्या लोग टैक्स इसलिए देते हैं कि उनकी जान सड़कों पर खतरे में पड़ी रहे? सरकार का काम जनता को सुरक्षित और बुनियादी सुविधाएं देना है, लेकिन आज वही सरकार गड्ढों को स्थायी मानकर अपनी नाकामी छिपा रही है। ये सिर्फ सड़कों की बात नहीं, ये हर उस नागरिक की चिंता है जो रोज़ इन रास्तों से होकर गुजरता है।
कांग्रेस की सीधी लड़ाई: सड़क से सदन तक
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि ये मुद्दा अब छोड़ा नहीं जाएगा। यह सिर्फ सड़क के गड्ढों की लड़ाई नहीं, बल्कि जनता के अधिकार, सुरक्षा और भरोसे की लड़ाई है। मध्यप्रदेश कांग्रेस हर गांव और हर शहर में जाकर लोगों की आवाज़ उठाएगी। जब तक सड़कों की हालत सुधरेगी नहीं और सरकार जवाबदेह नहीं बनेगी, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।


