दिल्ली में प्रदूषण से निपटने को कृत्रिम बारिश का सहारा, अगस्त-सितंबर में होंगे 5 ट्रायल

दिवाली और सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार अब कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) का सहारा लेगी। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को बताया कि इस तकनीक के लिए उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से मंजूरी मिल चुकी है। ट्रायल अगस्त के आखिरी सप्ताह से सितंबर के पहले सप्ताह के बीच किए जाएंगे। कुल 5 ट्रायल होंगे, जो IIT कानपुर के तकनीकी सहयोग से किए जाएंगे, ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि कृत्रिम बारिश स्मॉग कम करने में कितनी प्रभावी है।
2.55 करोड़ रुपए होंगे पूरे ट्रायल पर खर्च
सरकार के अनुसार, एक बार क्लाउड सीडिंग कराने की लागत करीब 66 लाख रुपये होगी, जबकि एक ऑपरेशन का खर्च 55 लाख रुपये अनुमानित है। पूरे ट्रायल पर कुल 2 करोड़ 55 लाख रुपये का खर्च आएगा। यह तकनीक पहले महाराष्ट्र के सोलापुर में 2017 में आजमाई गई थी, जहां इसके जरिए सामान्य से 18% अधिक बारिश कराई जा सकी थी। अब दिल्ली में भी इस नवाचार से प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में उम्मीदें जगी हैं।
दिल्ली के बाहरी इलाकों में होगा क्लाउड सीडिंग ट्रायल
दिल्ली सरकार 30 अगस्त से 10 सितंबर के बीच राजधानी के बाहरी इलाकों में कृत्रिम बारिश का ट्रायल करेगी। ट्रायल के लिए अलीपुर, बवाना, रोहिणी, बुराड़ी, पावी सड़कपुर और कुंडली बॉर्डर जैसे क्षेत्रों को चुना गया है। पहले यह ट्रायल जुलाई में प्रस्तावित था, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों की सलाह पर इसे स्थगित कर अगस्त-सितंबर में शिफ्ट किया गया। इस ट्रायल के लिए DGCA ने अनुमति दे दी है और IIT कानपुर के विशेष ‘सेसना’ एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया जाएगा, जो क्लाउड सीडिंग के उन्नत उपकरणों से लैस है।
खतरनाक स्तर तक पहुंचता है दिल्ली का AQI
दिल्ली में हर साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘सीवियर प्लस’ यानी बेहद खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, पिछले वर्षों में AQI 494 से भी ऊपर दर्ज हुआ है, जो स्वस्थ व्यक्ति को भी बीमार कर सकता है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा और GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत स्टेज-4 के प्रतिबंध लागू करने पड़े। ऐसे में अब सरकार को उम्मीद है कि क्लाउड सीडिंग एक प्रभावी समाधान साबित हो सकता है।


