पुरी रथयात्रा में भगदड़ से नाराज़ कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भुवनेश्वर में मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन की तैयारी की थी।
इसी दौरान एडिशनल कमिश्नर नरसिंह भोल का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे पुलिसकर्मियों को निर्देश देते दिख रहे हैं कि प्रदर्शनकारियों को पकड़ना नहीं, बल्कि उनके पैर तोड़ देने हैं। वीडियो में वे यह भी कहते नजर आते हैं कि “जो पैर तोड़ेगा, वो मुझसे इनाम लेकर जाएगा”। इस बयान पर सियासी घमासान मच गया है और विपक्ष ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है।
प्रशासनिक लापरवाही पर माफी और कार्रवाई
रविवार सुबह करीब 4 बजे पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर के पास भारी भीड़ के चलते भगदड़ मच गई। हादसे में 3 श्रद्धालुओं की मौत हुई और 50 से ज्यादा घायल हो गए, जिनमें 6 की हालत गंभीर बताई गई है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने हादसे के लिए माफी मांगी और प्रशासनिक लापरवाही को स्वीकार करते हुए पुरी के कलेक्टर और SP का तबादला कर दिया गया। डेवलपमेंट कमिश्नर अनु गर्ग को मामले की जांच सौंपी गई है, जो 30 दिन में रिपोर्ट पेश करेंगी।
रथ खिंचाई के दौरान जगन्नाथ पहुंचे गुंडिचा
सोमवार को पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान सुबह 11:20 बजे भगवान बलभद्र के तालध्वज रथ की खिंचाई शुरू हुई। इसके बाद 12:20 बजे देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और अंत में दोपहर 1:11 बजे भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचा। रथयात्रा के पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, लेकिन इस उत्साह के बीच बीते वर्षों की घटनाओं ने चिंता भी बढ़ा दी है।
2008 और 2024 में भी हो चुके हैं जानलेवा हादसे
रथयात्रा के इतिहास में भगदड़ की घटनाएं पहले भी सामने आई हैं। 2024 में 7-8 जुलाई को आयोजित यात्रा में पहले दिन ही 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी, जिससे भगदड़ मच गई और 2 लोगों की मौत हो गई। वहीं 2008 में सिंहद्वार के सामने भीड़ बेकाबू हो गई थी, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की जान गई और 12 से ज्यादा घायल हुए। इन हादसों ने यह स्पष्ट किया है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।


