रूस के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा ईरान को न्यूक्लियर हथियार देने की बात कहे जाने पर ट्रंप भड़के, बोले– हमारी न्यूक्लियर सबमरीन हर जगह मौजूद हैं, अंदाजा लगाना मुश्किल है।

ईरान-इजरायल जंग के बीच अमेरिका और रूस के बीच टकराव की आशंका गहरा गई है। सोमवार को रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने जब कहा कि कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने को तैयार हैं, तो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तीखी प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने कहा, “अगर मेदवेदेव ऐसा कह रहे हैं, तो ये बहुत गंभीर मामला है। रूस को हमारी न्यूक्लियर सबमरीन की ताकत का अच्छी तरह अंदाज़ा है।”
पुतिन का समर्थन और मिसाइल उत्पादन का ऐलान
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस पूरे घटनाक्रम में खुलकर ईरान का पक्ष लिया। उन्होंने ईरान पर हुए हमले को “बिना किसी उकसावे” वाला करार दिया और कहा कि इसका कोई आधार नहीं है। पुतिन ने ईरान को भरोसा दिलाया कि वे मिलकर इस स्थिति का समाधान निकालेंगे। इसके बाद उन्होंने सैन्य कैडेट्स को संबोधित करते हुए एलान किया कि रूस अब अपनी हाइपरसोनिक मिसाइलों का उत्पादन बढ़ा रहा है—जिनका इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ भी किया गया था। यह सीधा इशारा अमेरिका की ओर था।
ईरान ने भी दिखाई आक्रामकता
इस कूटनीतिक और सैन्य तनाव के बीच ईरान ने कतर में स्थित अमेरिकी एयरबेस पर हमला कर सबको चौंका दिया। माना जा रहा है कि यह हमला रूस के समर्थन और अमेरिका की धमकी के बीच अपनी ताकत दिखाने की कोशिश थी। वहीं, मेदवेदेव के बयान ने आग में घी डालने का काम किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान का शासन और भी मजबूत हुआ है, और अब लोग उसके चारों ओर एकजुट हो रहे हैं। यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि ईरान-इजरायल जंग अब सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रही—दुनिया की दो महाशक्तियां धीरे-धीरे इसमें खुलकर शामिल हो रही हैं।
ट्रंप की चेतावनी: ‘N वर्ड’ को हल्के में न लें
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर वाकई ईरान को न्यूक्लियर वॉरहेड्स देने की बात कही गई है, तो यह बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने आगाह किया कि ‘N वर्ड’ यानी न्यूक्लियर को मज़ाक में नहीं लिया जा सकता। ट्रंप ने अमेरिका की सैन्य क्षमता का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिकी न्यूक्लियर सबमरीन हाल ही में 30 टॉमहॉक मिसाइलें दाग चुकी हैं, और सभी ने अपने लक्ष्यों को सटीकता से निशाना बनाया। ट्रंप के इस बयान को रूस के लिए एक खुली चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है।
मेदवेदेव ने दी सफाई, कहा– गलत समझा गया मेरा बयान
ट्रंप के सख्त बयान के बाद मेदवेदेव ने सफाई दी कि रूस का ईरान को परमाणु हथियार देने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि रूस, इज़राइल के विपरीत, न्यूक्लियर अप्रसार संधि (NPT) का सदस्य है और इस संधि का सम्मान करता है। मेदवेदेव ने यह भी कहा कि उनका इशारा उन देशों की ओर था जो ऐसा कर सकते हैं, न कि रूस की ओर। साथ ही उन्होंने इस बहस को गैर-जरूरी बताया और कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि परमाणु हथियारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम आज भी लागू हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि क्या ये बयानबाजी आगे किसी टकराव की जमीन तैयार करेगी या कूटनीति से समाधान निकलेगा?


